क्या है जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 35A


-सुप्रीम कोर्ट में 2014 में अनुच्छेद 35A को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की गई थी और इस प्रावधान को चुनौती दी गई थी.

-सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केन्द्र सरकार और जम्मू कश्मीर सरकार से जवाब मांगा.

-इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अनुच्छेद 35A पर व्यापक स्तर पर बहस करने की ज़रूरत है.

-सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 3 न्यायाधीशों की बेंच को ट्रांस्फर कर दिया और इस मामले के निपटारे के लिए 6 हफ्ते की समय सीमा तय कर दी.

-अब ये माना जा रहा है कि सितबंर के पहले हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट इस विवादित अनुच्छेद पर फैसला सुना सकता है.

-इस अनुच्छेद को हटाने के लिए एक दलील ये भी दी जा रही है कि इसे संसद के जरिए लागू नहीं करवाया गया था.

-14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35 (A) जोड़ दिया गया.

-अनुच्छेद 35 A, धारा 370 का ही हिस्सा है. अनुच्छेद 35 A के मुताबिक जम्मू कश्मीर का नागरिक तभी राज्य का हिस्सा माना जाएगा जब वो वहां पैदा हुआ हो.

-कोई भी दूसरा नागरिक जम्मू कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है.

-अब सवाल ये है कि जम्मू कश्मीर का स्थायी नागरिक है कौन?

-1956 में जम्मू कश्मीर का संविधान बना, जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया है.

-जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक स्थायी नागरिक वो व्यक्ति है जो 14 मई, 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो, और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो.

-हमने आपको बहुत ही आसान भाषा में अनुच्छेद अनुच्छेद 35A समझाया. लेकिन अगर अभी भी आपको समझ में नहीं आया हो तो हम आपको उदाहरणों के साथ इसे समझाएंगे.

-आपमें से बहुत से लोग अपना घर और राज्य छोड़कर दूसरे राज्यों में जाकर बसे होंगे. और आप लोगों ने उस राज्य में अपनी ज़मीनें खरीदी होंगी या फिर घर भी खरीदें होंगे.

-लेकिन अगर आप जम्मू कश्मीर में जाएंगे तो आप वहां पर ज़मीन या घर नहीं खरीद सकते. क्योंकि अनुच्छेद 35A आपको ऐसा करने से रोकता है.

-वैसे ये भी एक विडंबना है कि जम्मू कश्मीर के अलगाववादी तो देशभर में अपनी ज़मीनें खरीद सकते हैं, लेकिन उनके राज्य में देश का कोई और नागरिक ज़मीन नहीं खरीद सकता.

-दो दिन पहले ही डीएनए में हमने आपको बताया था कि अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के पास दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन में एक फ्लैट है.

-इसके अलावा गिलानी के बेटे नईम गिलानी के पास भी दिल्ली के वसंत कुंज इलाक़े में एक फ्लैट है.

-सवाल ये है कि जिस अधिकार से गिलानी और उसके जैसे अलगाववादियों ने कश्मीर से बाहर के इलाक़ों में संपत्तियां खरीदी हैं, वो अधिकार देश के अन्य इलाक़ों के नागरिकों के पास क्यों नहीं है?

-अनुच्छेद 35A की वजह से जम्मू कश्मीर में पिछले कई दशकों से रहने वाले बहुत से लोगों को कोई भी अधिकार नहीं मिला है.

-1947 में पश्चिमी पाकिस्तान को छोड़कर जम्मू में बसे हिंदू परिवार आज तक शरणार्थी हैं.

-एक आंकड़े के मुताबिक 1947 में जम्मू में 5 हज़ार 764 परिवार आकर बसे थे.

-जम्मू में आकर बसे इन परिवारों में 85% दलित थे.

-इन परिवारों को आज तक कोई नागरिक अधिकार हासिल नहीं हैं.

-अनुच्छेद 35A की वजह से ये लोग सरकारी नौकरी भी हासिल नहीं कर सकते. और ना ही इन लोगों के बच्चे यहां व्यावसायिक शिक्षा देने वाले सरकारी संस्थानों में दाखिला ले सकते हैं.

-जम्मू-कश्मीर का गैर स्थायी नागरिक लोकसभा चुनावों में तो वोट दे सकता है, लेकिन वो राज्य के स्थानीय निकाय यानी पंचायत चुनावों में वोट नहीं दे सकता.

-अनुच्छेद 35 A के मुताबिक अगर जम्मू कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं. साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते ह



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