साधकोंकी अनुभूतियां


विगत कई पूर्णिमा व अमावस्याके तीन चार दिवस आगे पीछे मेरा मन बहुत अशांत रहता था, अकारण ही पति या किसी से विवाद हो जाता था, बहुत क्रोध आता था, प्रार्थना नहीं हो पाती थी और इस कारण कुछ समय पश्चात् मनमें अत्यधिक पश्चाताप होता था । इसके अतिरिक्त मुझे सम्पूर्ण दिवसमें तीन-चार बार निद्राको नियंत्रित करना असंभव सा होता था और अंततः मुझे सोना ही पडता था ।

एक माह पूर्व अनायास पूज्या तनुजा मांका मेरे पास सन्देश आया कि मुझे नियमित ५० माला जप करना है, १०० बार प्रार्थना करनी है, दो बार नमक पानीका उपाय, आकाश तत्त्वका उपाय, ८ बार स्वयंसूचना, कर्पूर सूंघना, इतर लगाना, गौ अर्क व इत्र मिश्रित जल अपने ऊपर छिडकना है और इस विषयमें उन्हें प्रतिदिन ब्यौरा भी देना है ।

यह सभी असंभव सा जान पडा; किन्तु प्रार्थना करके प्रयास करने आरम्भ किए और पूज्या मांकी कृपासे ऐसा संभव हो पाया, इस हेतु उनके श्री चरणोंमें कोटि कोटि कृतज्ञता ।

पूज्या मांके निर्देशोंके पालन करनेके परिणामस्वरूप विगत अमावस्या जो कि २८.०५.१४ को थी, मन शांत था, कोई विवाद नहीं हुआ और एक दिवस पूर्व ही पुत्रका इच्छित अभियांत्रिकी क्षेत्रमें प्रवेश निर्विघ्न और अल्प व्ययके साथ हो गया तथा मेरी दिनमें निद्राका प्रमाण भी बहुत अल्प हो गया है, दिनमें सोने की आवश्यकता प्रायः नहीं लगी ।

इस मध्य बाहर जानेपर किसी मित्रके यहां जब उन्होंने यह सब करते देखा तो उनकी प्रतिक्रिया आई कि बहुत सारे बंधन हैं; किन्तु दो दिवस पश्चात् ही उन्होंने स्वयं यह कहा कि आपपर ईश्वरकी कृपा है और उन्होंने हमारे कई लघु ग्रन्थ भी पढ लिए । – एक साधिका, दिल्ली, भारत



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