अद्भुत है सूर्य रथके सात घोडोंसे जुडा विज्ञान ! हिन्दू धर्ममें देवी-देवताओं तथा उनसे जुडी कथाओंका इतिहास अत्यन्त विशाल है अथवा यूं कहें कि कभी न समाप्त होनेवाला यह इतिहास, आज विश्वमें अपनी एक अनूठी पहचान बनाए हुए है । विभिन्न देवी-देवताओंका चित्रण, उनकी वेश-भूषा एवं यहांतक कि वे किस वाहनपर आरूढ होते थे, ये […]
शिव उपासनामें विभिन्न धाराओंसे महादेवके अभिषेकके फलका शेष भाग : १. वंशकी वृद्धि हेतु शिवलिङ्गपर शिव सहस्रनाम बोलकर घृत अर्थात घीकी धारा अर्पित करें । २. भगवान शिवपर जलधारासे अभिषेक मनकी शान्ति हेतु श्रेष्ठ मानी गई है । ३. भौतिक सुखोंको पाने हेतु इत्रकी धारासे शिवलिङ्गका अभिषेक करें । ४. रोगोंसे मुक्ति हेतु मधुकी (शहदकी) […]
श्रावण मासके प्रत्येक सोमवारको शिवलिङ्गपर कुछ विशेष वस्तु अर्पित की जाती है, जिसे शिवामुट्ठी कहते हैं । १. प्रथम सोमवारको कच्चे चावल एक मुट्ठी २. दूसरे सोमवारको श्वेत तिल एक मुट्ठी ३. तीसरे सोमवारको खडे मूंग एक मुट्ठी ४. चौथे सोमवारको जौ एक मुट्ठी तथा ५. जिस मासमें पांच सोमवार हों तो पांचवें सोमवारको सत्तू […]
भगवान श्रीजगन्नाथजीकी रथयात्रा आषाढ शुक्ल द्वितीयाको जगन्नाथपुरीमें आरम्भ होती है । यह रथयात्रा पुरीका प्रधान पर्व है । इसमें भाग लेनेके लिए लाखोंकी संख्यामें श्रद्धालु पहुंचते हैं । इस रथयात्रामें भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्राकी मूर्तियोंको तीन पृथक-पृथक दिव्य रथोंपर नगर भ्रमण कराया जाता है । रथयात्रा मुख्य मन्दिरसे आरम्भ होकर दो किलोमीटर […]
आइए ! सर्वप्रथम जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्णको विभिन्न स्थानोंपर किन नामोंसे जाना जाता है : ★ उत्तर प्रदेशमें हम उन्हें कृष्ण, गोपाल, गोविंद इत्यादि नामोंसे ★ राजस्थानमें श्रीनाथजी अथवा ठाकुरजीके नामसे ★ महाराष्ट्रमें विट्ठल ★ उडीसामें जगन्नाथ ★ बंगालमें गोपालजी ★ दक्षिण भारतमें वेंकटेश अथवा गोविंदा ★ गुजरातमें द्वारिकाधीश ★ असम, त्रिपुरा, नेपाल इत्यादि […]
किसी भी सिद्धान्त अथवा किसी भी तथ्यको आंखें बन्दकर मान लेना, बुद्धिमानोंका लक्षण नहीं है । हम वेदोंके सिद्धान्तोंकी पुष्टि, वेदोंके ही साक्ष्यद्वारा करेंगे जिससे हमारी भ्रान्तिका निराकरण हो सके । शङ्का १ : क्या वेदोंमें मांसभक्षणका विधान है ? समाधान : वेदोंमें मांसभक्षणका स्पष्ट निषेध किया गया है । अनेक वेद मन्त्रोंमें स्पष्ट रूपसे […]
प्रत्येक कालमें भिन्न-भिन्न सप्तर्षि रहे हैं ।आकाशमें ७ तारोंका एक मण्डल दिखाई देता है, जिन्हें सप्तर्षियोंका मण्डल कहा जाता है । इसके अतिरिक्त सप्तर्षिसे उन ७ तारोंका बोध होता है, जो ध्रुव तारेकी परिक्रमा करते हैं । उक्त मण्डलके तारोंके नाम भारतके ७ महान सन्तोंके आधारपर ही रखे गए हैं । वेदोंमें उक्त मण्डलकी स्थिति, […]
रामराज्यमें हनुमानजी महाराज, भगवान रामकी सेवामें इतने तन्मय हो गए कि गुरु वसिष्ठके आनेका उन्हें ध्यान ही नहीं रहा । सबने उठकर उनका अभिवादन किया; परन्तु हनुमानजी नहीं कर पाए । गुरु वसिष्ठने भगवान रामसे पूछा, “राम ! गुरुका भरी सभामें अभिवादन नहीं कर अपमान करनेपर क्या दण्ड मिलना चाहिए ?” भगवान रामने कहा, “गुरुवर […]
प्रश्न : आपने और आपके साधकोंने अनेक बार ‘अन्तर्मुखता’ इस शब्दका प्रयोग करते हैं यह अन्तर्मुखता क्या होती है ?
उत्तर : अन्तर्मुखी साधकोंके लक्षण :- १. मितभाषी; परन्तु आवश्यकता होनेपर मिलनसार होता है अर्थात जहां वार्ता करनी आवश्यक हो, वहां अवश्य सहजतासे वार्ता करता है । २. किसी भी प्रतिकूल परिस्थितिमें शान्त रहकर उपाय योजना निकलता है । ३. अपनी चूक स्वतः ही स्वीकारकर, उसके लिए वह स्वयं कैसे उत्तरदायी है ? यह चिन्तनकर, […]
अग्निहोत्र एवं अग्निहोत्रकी भस्म, दोनों ही पेड-पौधोंके लिए बहुत प्रभावी परिणाम देते हैं । अनेक स्थानोंपर किसान अब खेतके मध्यमें जाकर अग्निहोत्र करने लगे हैं एवं यह कृषकोंमें एक नूतन उत्साह भर देती है । अग्निहोत्रकी भस्मका पौधोंपर कैसे उपयोग करना है ? इसके विषयमें आपको बताते हैं । अग्निहोत्रकी भस्मको एक डिब्बेमें अच्छेसे सम्भाल […]