जो शाश्वत है, चिरस्थायी है, वह सनातन है ।हमारे श्रीगुरुद्वारा प्रतिपादित अध्यात्मके कुछ सिद्धान्त, जो सनातन धर्म आधारित हैं वे सृष्टिके अन्ततक, धर्म और अध्यात्मके मूलभूत सिद्धान्तोंके…..
कुछ समय पश्चात ऐसा लगा जैसे श्रीगुरुने मेरा अश्रुपूर्ण निवेदन स्वीकार कर लिया और जब मैंने पुनः उस दैनिकको देखा तो मैं उसे अच्छेसे समझ सकती थी । उसके पश्चात मुझे अकस्मात मराठीके ग्रन्थ समझमें आने लगे…..
श्री प्रमोद कुमारने ‘यू ट्यूब’में हमारे एक विडियोपर प्रतिक्रिया (कमेन्ट) लिखी है, “मैं आपके हिन्दीके ज्ञानसे अभिभूत हूं ।” उन्हें विनम्रतासे ये तथ्य बताना चाहेंगें – मेरी शिक्षा अंग्रेजी माध्यममें हुई और हमारे पाठ्यक्रममें मात्र एक विषय हिन्दी साहित्यका होता था ! घरमें हम अंगिका (मैथिली भाषाका अपभ्रंश) बोलते थे; यह अवश्य था कि हामरे […]
कल मैं कुछ साधकोंके साथ, हमारे श्रीगुरुके गुरु परम पूज्य भक्तराज महाराजके मोरटक्का, जो इन्दौरसे ८० किलोमीटर दूरीपर है, स्थित आश्रममें गई थी । वहां दर्शन एवं अल्पाहारके पश्चात आश्रमका उत्तरदायित्व सम्भालनेवाले एक साधकने हमें बद्रीनाथमें ६० वर्ष तपस्या कर, वहीं नर्मदा तटपर एक आश्रममें रहनेवाले एक सिद्ध तपस्वीके दर्शन कराने ले गए थे । […]
भगवान श्रीकृष्णके १०८ नामोंमेंसे एक नाम जगद्गुरु अर्थात ब्रह्मांडके गुरु है। हमारे श्रीगुरु जगद्गुरु कैसे हैं इसे शब्दोंमें बताना अत्यन्त कठिन है किन्तु कुछ उनके कुछ गुण जो उन्हें जगद्गुरु पदपर स्वतः ही आसीन करता है वे इसप्रकार हैं….
भगवान श्रीकृष्णके १०८ नामोंमेंसे एक नाम धर्माध्यक्ष है | उन्होंने इस नामको चरितार्थ कर दिखाया है | जैसे – * हमारे भिन्न धर्मशास्त्रोंमें उपलब्ध धर्मकी भिन्न व्याख्यायोंको संकलित कर, उसके माध्यमसे धर्मका महत्त्व, समाजको उन्होंने बताया है | * धर्मकी इन परिभाषाओंको उन्होंने समाजमें चरितार्थ कर अनेक साधक-जीवोंका उद्धार कर अर्थात उन्हें जीवन्मुक्त कर, संतपदपर […]
मैं अपने श्रीगुरुसे क्यों जुडी, यह कुछ लोग मुझसे पूछते रहते हैं, तो इस लेख श्रृंखलामें मैं प्रतिदिन आपको एक कारण बताऊंगी….. हमने आपको बताया ही था कि हमारे श्रीगुरुका उद्देश्य समाजमें सुराज्यकी स्थापना अर्थात् रामराज्यकी स्थापना करना है; किन्तु इसके साथ ही वे सभीके अन्दर भी रामराज्य ला रहे हैं । साधकोंके आसुरी वृत्तियोंका […]