देवस्तुति

मां सरस्वती स्तुति


शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं | वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌ ।। हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌ । वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।। अर्थ : शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत्‌में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्मके विषयमें किए गए विचार एवं चिंतनके सार रूप परम उत्कर्षको धारण करनेवाली, सभी भयोंसे भयदान देने वाली, अज्ञानके अंधेरेको मिटानेवाली, हाथोंमें वीणा, पुस्तक और […]

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शिवमानसपूजा


आदि गुरु शंकराचार्यद्वारा रचित शिव मानस पूजा शिवकी एक अनूठी स्तुति है । यह स्तुति शिव भक्ति मार्गको अत्यधिक सरलताके साथ ही एक अत्यंत गूढ रहस्यको समझाता है । शिव मात्र भक्तिद्वारा प्राप्त हो सकते हैं, उनकी भक्ति हेतु बाह्य आडम्बरकी कोई आवश्यकता नहीं है । इस स्तुतिमें हम प्रभूको भक्तिद्वारा मानसिक रूपसे कल्पनाकी हुई […]

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दुर्गा स्तुति


विश्वेश्वरीं जगद्धात्रीं स्थिति संहार कारिणीम् । निद्रां भगवतीं विष्णोरतुलां तेजसः प्रभो ।। अर्थ : हे विशेश्वरी ! हे जगतधात्रि आप ही इस ब्रह्मांडकी उत्पत्ति, स्थिति एवं लयकी कारण है ! आप निद्राकी देवी हैं ! आप विष्णुके अतुलनीय तेजस्विता हैं ! आपको नमन है !

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दुर्गा स्तुति


सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते । भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ।। अर्थ : हे दुर्गा देवी ! आप अनेक स्वरूपको धारण करती हैं, आप सर्वशक्तिमान हैं, सभीके द्वारा पूजित हैं ! हे महादेवी ! कृपा कर, हमारा सभी प्रकारके भयसे रक्षण करें,मैं आपको नमन करता हूं !

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दुर्गा स्तुति


ब्राह्मी माहेश्वरी चैव कौमारी वैष्णवी तथा | वाराही च तथेन्द्राणी चामुण्डा सप्तमातरः || अर्थ : इन सप्त माताओंको नमन है – ब्राह्मी, माहेश्वरी (शिव पत्नी), कौमारी, वैष्णवी वाराही(विष्णु पत्नी ), इंद्राणी(इंद्रा की पत्नी) एवं चामुंडा !  

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दुर्गा स्तुति


दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थ्यै स्म्रिता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्र्यदुःख भयहारिणी का त्यदन्या सर्वोपकार करणाय सदाद्रचित्ता । अर्थ : हे मां दुर्गा, जो आपको संकट कालमें स्मरण करते हैं उनके सभी भयका आप हरण कर लेती हैं । जो सुखद कालमें आपका स्मरण करते हैं, उन्हें आप सुमति प्रदान करती हैं । हे मां, […]

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देव स्तुति


सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरि । सर्वदुःख हरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ।। हे महालक्ष्मी तुझे वंदन है ! तू सर्वज्ञ है तू सर्व वरदान देने वाली है ! तू भयंकर रूप धारण कर दुष्टों का संहार करनेवाली है । हे देवी ! तू हमारे सर्व दुखों का नाश कर !! Prostrations to you O mahalaxmi ! […]

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शिव स्तुति


प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् । खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥ अर्थ : उन शिवका मैं प्रातः समरण करती हूं जो सांसरिक भयका हरण करनेवाले हैं जो देवोंके ईश हैं, जो गागंधर हैं जिनके वाहन वृषभ है और जो माता अंबिकाके ईश हैं, जो खटवांग (एक ऐसा शस्त्र जिसके दंडके ऊपर खोपडी होती है) और त्रिशूलको […]

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दुर्गा स्तुति


अयि गिरिनंदिनि नंदितमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदनुतेगिरिवर विंध्य शिरोधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।                          भगवति हे शितिकण्ठकुटुंबिनि भूरि कुटुंबिनि भूरि कृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।। अर्थ : हे पर्वतराज पुत्री, सम्पूर्ण भूमण्डलको आनन्दित करेनवाली, सम्पूर्ण ब्रह्माण्डका मनोविनोद करनेवाली , नन्दीद्वारा स्तुतिकी जानेवाली, विंध्यके शिखरपर वास […]

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मां सरस्वती स्तुति


अपूर्वः कोऽपि कोशोऽयं विद्यते तव भारति । व्ययतो वृद्धिमायाति क्षयमायाति सञ्चयात् ॥ अर्थ : हे भारती (सरस्वती) आपके कोष अद्वितीय है !  जब कोई उसकी व्यय करता है तो वह वृद्धिंगत होता है और कोई संचय करता है तो उसका क्षय होता है । भावार्थ : देवी सरस्वतीका धन विद्या है जब कोई इसका प्रसार […]

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