मार्च २०, २०१९
१८ फरवरी, २००७ को ‘समझौता एक्सप्रेस’में हुए इस विस्फोटमें ६८ लोगोंकी मृत्यु हो गई थी, जिनमें मुख्यतः पाकिस्तानी नागरिक थे । तत्कालीन यूपीए शासन और जांच विभागोंने इसके लिए ‘हिन्दू आतंकवादियों’को दोषी बताते हुए उनपर यह विस्फोट करनेका आरोप लगाया था । ‘एनआइए’के विशेष न्यायालयने स्वामी असीमानंद सहित चारों आरोपियोंको इस अभियोगमें मुक्त कर दिया है ।
२०११ से इस प्रकरणकी जांच कर रहे राष्ट्रीय जांच विभागने (एनआइए) न्यायालयमें यह आरोप लगाया कि गुजरातके अक्षरधाम, जम्मूके रघुनाथ, एवं वाराणसीके संकट मोचन मंदिरमें हुए आतंकी आक्रमणका बदला लेनेके लिए आरोपियों लोकेश शर्मा, कमल चौहान, व राजिंदर चौधरीने ‘समझौता एक्सप्रेस’में यह विस्फोट किया । स्वामी असीमानंदपर इस विस्फोटमें सम्मिलित व्यक्तियोंको षडयन्त्र हेतु आवश्यक सामग्री उपलब्ध करानेका आरोप था; परन्तु एनआइए न्यायालयके न्यायाधीश जगदीप सिंहके निर्णयके अनुसार उन्हें यह बात और जांच विभागद्वारा प्रस्तुत साक्ष्य इतने ठोस नहीं लगे कि उनके आधारपर आरोपियोंको दोषी बताया जा सके ।
इस आक्रमणके मुखियाके रूपम़े प्रचारित ‘आरएसएस’ सदस्य सुनील जोशीकी २००७ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी । उस प्रकरणको भी इसी भगवा आतंकवादसे जोडकर देखा गया था । जांच विभागने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित ८ लोगोंको इस प्रकरणमें भी आरोपी बनाया था; परन्तु बादमें उनके विरुद्घ भी एनआइए दोषी सिद्ध करने योग्य साक्ष्य प्रस्तुत करनेमें असफल सिद्ध हुए ।
“कांग्रेस शासनने हिन्दू साधु-सन्तोंको नष्ट करनेके लिए भगवा आतंकवाद नामक शब्दकी रचना की और अनेक सन्तोंको फंसाकर कारावास भेजकर उत्पीडन आरम्भ किया और तथाकथित समाचार माध्यमोंने कांग्रेसका साथ दिया और इस भगवा आतंकवादको पूर्ण बल लगाकर प्रसारित किया ताकि हिन्दू साधु-सन्यासियोंकी आतंकी छवि बनाई जा सके ! कारावासमें साधुओंको पूर्ण बल लगाकर प्रताडित किया गया ताकि जो अपराध उन्होंने किया ही नहीं, उसे स्वीकार करवा सकें !! जिन-जिन साधु-सन्यासियोंको फंसाया गया, वे ११-११ वर्षों पश्चात निर्दोष बाहर आ रहे हैं । अब कांग्रेसद्वारा रचा षडयन्त्र उजागर हो चुका है; परन्तु जो उत्पीडन कांग्रेसद्वारा इतने वर्षोंतक साधुओंको दिया गया, अब क्या कांग्रेस उसका दण्ड भोगनेको सज्ज है ? आज कांग्रेस सॉफ्ट हिन्दुत्वकी राजनीति कर रही है, गंगा स्नान कर रही है; परन्तु अब भारतके समक्ष इनका षडयन्त्र और हिदू द्वेष उजागर हो चुका है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : लाइव हिन्दुस्तान
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