आयुर्वेद अपनाएं, स्वस्थ रहें ! (भाग – ९)


लहसुन (लसुनम्, Garlic) एक ऐसी खाद्य सामग्री है, जो कई तरकारियोंका स्वाद बढा देती है । लगभग प्रत्येक रसोईमें पाई जाने वाली ये खाद्य सामग्री केवल तरकारियोंका स्वाद ही नहीं बढाती, वरन यह स्वास्थ्यके लिए भी अत्यधिक लाभदायक है । एक समय था जब आजकी भांति प्रत्येक स्थानपर औषधिकी दुकानें नहीं होती थीं । तब लहसुनका प्रयोग आयुर्वेदिक उपचारके लिए भी होता था । लहसुन प्रतिविषाणुज (एंटी-वायरल), एंटी-फंगल और जीवाणुरोधी (एंटी-बैक्टिरीयल) गुणोंसे भरपूर होता है ।
घटक –  ‘एलीसीन’ और दूसरे ‘सल्फर’ यौगिक होते हैं । साथ ही, लहसुनमें ‘एजोइन’ और ‘एलीन’ यौगिक भी विद्यमान होते हैं, जो लहसुनको और अधिक प्रभावशाली औषधि बना देते हैं । इसके अतिरिक्त ‘प्रोटीन’, ‘एन्जाइम’ तथा ‘विटामिन-बी’, ‘सैपोनिन’, ‘फ्लैवोनॉइड’ आदि पदार्थ पाए जाते हैं ।
आइए, अब लहसुनके लाभकारी गुणोंके विषयमें जानते हैं –
* उच्च रक्तदाबको नियन्त्रण करना : उच्च रक्तदाबको नियन्त्रण करनेमें लहसुनका सेवन काफी उपयोगी सिद्ध हुआ है । इसमें ‘बायोएक्टिव सल्फर’ यौगिक, ‘एस-एललिस्सीस्टीन’ होता है, जो रक्तदाबको १० mmhg (सिस्टोलिक दाब) और ८ mmhg (डायलोस्टिक दाब) तक अल्प करता है । चूंकि सल्फरकी न्यूनतासे भी उच्च रक्तदाबकी समस्या होती है, इसलिए शरीरको ‘ऑर्गनोसल्फर’ यौगिकों वाला पूरक आहार देनेसे रक्तदाब ठीक हो जाता है ।
* मधुमेहमें लाभकारी – असन्तुलित जीवनशैलीके कारण कई लोग मधुमेहके रोगी हो रहे हैं; परन्तु कम ही लोग जानते हैं कि लहसुनका सेवन करनेसे मधुमेहपर नियन्त्रण रखा जा सकता है । आईआईसीटीके (भारत) वैज्ञानिकोंने प्रयोगशालामें चूहोंको लहसुन खिलाया । इसके पश्चात चूहोंके रक्तमें शर्करा और ‘ट्राइग्लिसराइड’के स्तरमें न्यूनता पाई गई; इसलिए यह शरीरमें शर्कराके स्तरको नियन्त्रित कर इंसुलिनकी मात्रा बढाता है ।
* दांतोंके लिए लाभप्रद :  भुने लहसुनके सेवनसे दांतोंकी वेदनामें लाभ मिलता है । लहसुनको पीसकर दांतोंपर रखनेसे तुरन्त लाभ मिलेगा । लहसुनके जीवाणुरोधी तत्‍व दांतोंकी वेदनाको दूर करते हैं ।
* शीत-प्रकोपमें लाभप्रद : इसके लिए अंग्रेजी औषधियोंका सेवन आवश्यक नहीं है । लहसुनमें ‘एलियानेस’ (या एलियान) नामक एंजाइम होता है, जो एलिसिन नामक सल्फर युक्त यौगिकमें परिवर्तित होता है । यह यौगिक श्वेत रक्त कोशिकाओंको बढाता है, जो शीतप्रकोपके विषाणुओंसे युद्ध करता है ।
* गठियामें लाभप्रद : लहसुन अस्थियोंके (हड्डियोंके) लिए भी काफी लाभदायक है । इसके सेवनसे ‘ऑस्टियोपोरोसिस’ और गठिया जैसी अस्थियोंके रोगोंसे जूझ रहे रोगियोंको लाभ मिलता है । लहसुन ‘डायलिल डाइसल्फाइड मैट्रिक्स’को अल्प करने वाले किण्वकको (एंजाइमोंको) दबानेमें सहायता करता है । इसप्रकार अस्थियोंको होने वाली हानिको भी रोकता है ।
सेवन विधि : प्रत्येक दिवस दो कच्ची लहसुनकी कलियोंका जलके साथ सेवन करें । इसके सेवन करनेका सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल है । इसके अतिरिक्त इसे सब्जियोंमें, चटनीके रूपमें भी खाया जा सकता है ।
सावधानियां :
१. किसी भी वस्तुका आवश्यकतासे अधिक प्रयोग हानि पहुंचा सकता है; इसलिए एक दिनमें दोसे अधिक लहसुनकी कलियां न खाएं !
२. यदि शरीरमें अम्लताकी (एसिडिटी) समस्या है तो कच्चे लहसुनका सेवन न करें !
३.यदि आपको लहसुनसे एलर्जी है, तो इसके सेवनसे आपको त्वचा सम्बन्धी रोग हो सकते हैं ।
४. यकृतकी (लीवरकी) समस्या है, तो अधिक लहसुनका सेवन हानि कर सकता है ।
५. निम्न रक्तदाबके (लो ब्लड प्रेशर) रोगी लहसुन न खाएं; क्योंकि इससे रक्तदाब और कम हो सकता है।



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