हमारी आज की पहली रिपोर्ट देखकर भारत के बहुत सारे धर्मनिरपेक्ष लोग.. हमसे नाराज़ हो जाएंगे. क्योंकि हम उनके सामने कई कड़वे सत्य रखने वाले हैं. आज हम धर्म के चश्में से देखी जाने वाली ख़बरों का पर्दाफाश करेंगे. पिछले करीब एक महीने से पूरे देश और दुनिया में म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों पर बहस चल रही है. पूरी दुनिया के कथित Secular और धर्मनिरपेक्ष लोग इस बात पर बहस कर रहे हैं कि म्यांमार के रखाइन में रोहिंग्या मुसलमानों पर वहां की सेना अत्याचार कर रही है और सरकार चुप बैठी है. इस मुद्दे को लेकर म्यांमार की सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
भारत में भी रोहिंग्या मुसलमानों के लिए बहुत आंसू बहाए जा रहे हैं. रोहिंग्या मुसलमान एक ऐसा मुद्दा है, जिसके ज़रिये हर राजनीतिक पार्टी अपना वोट बैंक मज़बूत करना चाहती है. पश्चिम बंगाल से लेकर दिल्ली तक बहुत से ऐसे धुरंधर नेता हैं, जो इस मुद्दे को अपने हाथ से निकलने नहीं देना चाहते. लेकिन इन लोगों के लिए आज हमारे पास कुछ तस्वीरें हैं.
ये तस्वीरें रोहिंग्या लोगों की हैं, ये भी म्यांमार के उसी रखाइन प्रांत से भगाए गए हैं, जहां से रोहिंग्या मुसलमान भगाए गए थे. इनके साथ भी अत्याचार हुआ, इनके करीबी रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई और छोटे छोटे बच्चों को अनाथ कर दिया गया. बस फर्क सिर्फ इतना है कि ये हिंदू हैं और इन पर ये अत्याचार म्यांमार की सरकार या वहां की सेना ने नहीं बल्कि रोहिंग्या मुसलमानों ने किए हैं. ये रखाइन के वो बदकिस्मत हिंदू हैं, जिन पर म्यांमार के आंतकवादी संगठन Arakan Rohingya Salvation Army के आतंकवादियों ने ज़ुल्म किए हैं. इन हिंदुओं के गांव के गांव जला दिए गए हैं और इन्हें मारकर ज़मीन में दफना दिया गया है.
रखाइन में म्यांमार की सेना को एक कब्रगाह मिली है. जिसमें से 45 हिंदुओं के शव निकाले गए हैं. इस पूरे इलाके से करीब 1 हज़ार से ज्यादा हिंदुओं के गायब होने की ख़बर है. म्यांमार की सेना का भी आरोप है कि इन हिंदुओं की हत्या रोहिंग्या मुसलमानों ने की है. और इनकी हत्या में आतंकवादी संगठन ARSA का भी हाथ है. मरने वालों में बहुत से बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. जो हिंदू परिवार… हमले के बाद भागने में कामयाब हुए, उन्हें शरणार्थी शिविरों में रखा गया है.
ज़ी न्यूज़ के संवाददाता मनीष शुक्ला इस वक़्त म्यांमार के रखाइन इलाक़े में हैं और रोहिंग्या हिंदुओं के दर्द पर रिपोर्टिंग कर रहे है. उन्होंने रखाइन के शरणार्थी Camps में जाकर इस पूरे मुद्दे का एक नया पहलू.. दुनिया के सामने रखा है. इन Camps में कोई एक-दो या दस-बीस हिंदू परिवार नहीं बल्कि पूरे 680 हिंदू परिवार रहते हैं…. जो किसी तरह से अपनी जान बचाने में कामयाब हुए हैं. किसी ने अपना बेटा खोया, किसी ने पति खोया.. तो किसी के घर की महिलाओं को आंतकवादी अपने साथ उठाकर ले गए.
रखाइन में बहुत से ऐसे इलाके हैं, जहां से हिंदुओं की पूरी आबादी को खत्म कर दिया गया है. इन इलाकों से हज़ारों की संख्या में हिंदुओं का पलायन जारी है, लेकिन दुनिया को सिर्फ रोहिंग्या मुसलमानों का दर्द दिखाया जा रहा है. यानी एक ही इलाक़े में.. इंसानों पर हो रहे अत्याचार की सेलेक्टिव रिपोर्टिंग हो रही है.. और पूरे मुद्दे का धर्मिक विभाजन हो गया है. लेकिन आज हम आपके सामने रोहिंग्या लोगों पर हो रहे अत्याचार का पूरा सच रखेंगे. हम चाहते हैं कि आप हमारी इस संवेदनशील रिपोर्टिंग को ध्यान से देखें और धर्म का चश्मा उतारकर इन लोगों का दर्द महसूस करें.
हमारी ये रिपोर्ट बताती है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में हिंदुओं की हालत बहुत खराब है. और उन पर जुल्म किया जा रहा है. ऐसे में इन लोगों को भारत सरकार से भी बहुत उम्मीद है. इन्हें पूरा भरोसा है कि भारत सरकार इनकी मदद करेगी. यहां आपको ये भी पता होना चाहिए कि म्यांमार में हिंदुओं की क्या स्थिति है ? 2014 की जनगणना के अनुसार म्यांमार में करीब ढाई लाख हिंदू रहते हैं, जो वहां की कुल जनसंख्या का आधा प्रतिशत है. जबकि म्यांमार में करीब साढ़े 11 लाख मुसलमान रहते हैं, जो म्यांमार की कुल जनसंख्या का 4.3% है. अब आपको उस आतंकवादी संगठन के बारे में बताते हैं, जिसने इन हिंदुओं पर हमला किया .
इस आतंकवादी संगठन का नाम है Arakan Rohingya Salvation Army यानी ARSA ये संगठन म्यांमार के रखाइन प्रांत में सक्रिय है. इस संगठन ने इसी वर्ष 25 अगस्त को पुलिस के 24 Camps पर हमला किया था . इस हमले में 71 लोगों की मौत हो गई थी.. जिनमें पुलिस वाले भी शामिल थे और इसी हमले के बाद म्यांमार की सेना ने इस आतंकी संगठन से जुड़े आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की . इस हमले के बाद म्यांमार की सरकार ने इस ARSA पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस संगठन के सरगना का नाम अता उल्लाह है. अता उल्लाह एक रोहिंग्या मुस्लिम है, जो पाकिस्तान के कराची में पैदा हुआ था और मक्का में पला बढ़ा है. और अब यही आतंकवादी संगठन म्यांमार के बौद्धों के साथ साथ हिंदुओं पर भी हमला कर रहा है.
रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में ही शरण देने की दलीलें देने वाले लोग अक्सर उनके मानव अधिकारों का सवाल उठाते हैं. ऐसे लोगों से हम ये पूछना चाहते हैं कि क्या मानव अधिकारों को भी अब धर्म के चश्में से देखा जाएगा? क्योंकि मानव अधिकार तो इन हिंदुओं के भी थे, जिन्हें एक आतंकवादी संगठन और रोहिंग्या मुसलमानों ने मार मार कर बेघर कर दिया. Secularism के Champions कभी ये सवाल नहीं उठाते कि म्यांमार में जिन हिंदुओं को कब्र में पहुंचा दिया गया, उनका कसूर क्या था ? और उन पर अत्याचार क्यों हो रहे हैं.
हमारे देश के बहुत से कश्मीरी पंडितों ने अपना बचपन, जवानी और बुढ़ापा.. राहत शिवरों में गुज़ार दिया…फिर भी वो लोग कभी अपने जले हुए घरों में लौटने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. ये बात हमारे देश के कथित धर्मनिरपेक्ष लोगों को कभी नहीं चुभती… और ऐसा ही हिंदुओं के केस में भी हो रहा है. म्यांमार के रखाइन से हमारी ये रिपोर्टिंग जारी है. हमारे संवाददाता मनीष शुक्ला इस वक्त म्यांमार में हैं और कई तरह के खतरों से घिरे हुए हैं.. लेकिन वो आप तक उन हिंदू परिवारों का दर्द पहुंचाते रहेंगे. आप हमारी इस रिपोर्टिंग सीरीज़ के लिए अपना समय सुरक्षित रखिए.
साभार : जी न्यूज
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