मार्च २१, २०१९
पाकिस्तानमें एक छात्रने अपने प्राध्यापककी हत्या कर दी । प्रध्यापक साहबका दोष केवल इतना था कि उन्होंने छात्र-छात्राओंको एक साथ पार्टीकी आज्ञा दे दी थी । यह बहावलपुरके सादिक एगर्टन महाविद्यालयकी घटना है । आज ही २१ मार्चको पार्टीका आयोजन होना था । लडके और लडकियोंकी एक साथ पार्टीको खतीब हुसैनने पाप समझ लिया । खतीबने इसे गैर इस्लामी भी बताया और इसी बातपर प्राध्यापक खालिद हमीदसे कहासुनी हो गई थी ।
२० मार्चको जब प्राध्यापक महाविद्यालय जा रहे थे, तो खतीबने उनपर चाकुओंसे आक्रमण कर दिया । उन्हें चिकित्सालयमें प्रविष्ट कराया गया; परन्तु बचाया नहीं जा सका । आरोपित छात्रको बन्दी बना लिया गया है ।
पुलिसमें प्रविष्ट परिवादके अनुसार, छात्र इस बातके विरुद्ध थे कि सभीकी एक साथ पार्टी हो । वह इसप्रकारके कार्यक्रमको गैर इस्लामी मानता है । पुलिसको आरोपीने बताया, “इसप्रकारकी पार्टी इस्लामी शिक्षाके विरुद्ध है । मैंने उनको ऐसा नहीं करनेकी चेतावनी दी थी ।”
उल्लेखनीय है कि आक्रमण करनेके पचात छात्र खतीब चिल्लाने लगा कि मैंने उसे मार दिया है, मैंने उसे बताया था कि खवातीन (महिला) और पुरूषका एक साथ कार्यक्रममें सम्मिलित होना इस्लामके विरुद्घ है ।
पाकिस्तानके शैक्षिक संस्थानोंमें इसप्रकारके कार्यक्रम साधारण हैं; परन्तु वहां छात्राओंपर अत्यधिक प्रतिबन्ध है । गत दिवसोंमें पंजाबके एक विश्वविद्यालयने ‘ड्रेस कोड’का आदेश जारी किया था । उसके माध्यमसे छात्राओंको ‘टॉप, जींस’, बिना आस्तीनवाली कमीज और टाइट पैंट पहननेपर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था । यहां तक कि कई शासकीय विश्वविद्यालयमें छात्र-छात्राओंके साथ बैठनेपर भी प्रतिबन्ध है ।
“एक ओर पाकिस्तानमें व इस्लाममें छात्र-छात्राओंके एक साथ आनेपर भी हत्या कर दी जाती है तो दूसरी ओर भारत, जहां नारियोंको पूजनीय माना जाता है, नारियोंको सभी प्रकारकी स्वतन्त्रता दी गई है, वहां आजकी तथाकथित नारीवादी स्त्रीमुक्ति आदोलन चलाती हैं । आजकी बुद्धिहीन युवतियां राष्ट्रके लिए कुछ करनेको नहीं वरन उच्छृंखलताको ही स्त्री मुक्ति मानती हैं ! हिदू युवतियो ! अपने पडोसी देशको देखे, जहां नारीको बोलनेतक की स्वतन्त्रता नहीं है और भारतमें सब अधिकार दिए जाते हैं, तदोपरान्त भी आजकी बुद्धिभ्रमित युवतियोंद्वारा मर्यादा व संस्कारोंको भंग करनेको स्वतन्त्रता मांगी जाती है ! मर्यादा व लज्जा स्त्रीका आभूषण है । स्त्रियोंने भारतद्वारा दी गई स्वतन्त्रताका सदुपयोगकर राष्ट्र व धर्म हितमें आगे आने चाहिए व राष्ट्रका नाम ऊपर हो ऐसे कृत्य करने चाहिए !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : ऑप इण्डिया
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