विश्वके अधिकांश पंथका(तथाकथित धर्मका) अध्यात्म छिछला या सतही होनेके कारण वे पुनर्जन्मके सिद्धांतको मान्य नहीं करते हैं ! हिन्दू धर्मका अध्यात्मशास्त्र अत्यन्त प्रगत अवस्थामें होनेके कारण यह मात्र पुनर्जन्मके सिद्धांतको ही नहीं मानता है अपितु इस जन्म-मरणके चक्रव्यूहसे सदैवके लिए मुक्तिका सिद्धांत भी प्रतिपादित करता है !
विश्वके अन्य पंथोंकी, मृत्यु उपरान्तकी यात्रा स्वर्ग और नरक तक समाप्त हो जाती है ! वहीं हिन्दू धर्ममें मृत्यु उपरान्तके यात्राका विस्तृत विवेचन उपलब्ध है जो हमारे द्रष्टा संतोंने अपनी दिव्य दृष्टिसे अनुभूतकर बताई है और कोई भी साधक, योग्य साधनाकर इसकी अनुभूति ले सकता है |
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