शास्त्र वचन


गते शोको न कर्तव्यो भविष्यं नैव चिन्तयेत् । वर्तमानेन  कालेन वर्तयन्ति विचक्षणाः॥                  अर्थ : बीते हुए समयका शोक नहीं करना चाहिए और भविष्यके लिए चिन्तित नहीं होना चाहिए, बुद्धिमान तो वर्तमानमें ही रहते हैं ॥



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