मार्च २२, २०१९
केन्द्रके नरेन्द्र मोदी शासनने ‘जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’को (जेकेएलएफ) आतंक विरोधी विधानके अन्तर्गत प्रतिबन्ध कर दिया है । केन्द्रका यह निर्णय पृथकतावादपर बडी कार्यवाहीके रूपमें देखा जा रहा है । उल्लेखनीय है कि पृथकतावादी नेता यासीन मलिक ‘जेकेएलएफ’के प्रमुख हैं । उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासनने पुलवामा आक्रमणके ८ दिवस पश्चात २२ फरवरीको यासीन मलिकको बन्दी बनाया गया था ।
‘जेकेएलएफ’पर आतंकी गतिविधियोंको समर्थन करनेका आरोप लगता रहा है । गृह सचिव राजीव गाबाने ‘जेकेएलएफ’पर प्रतिबन्धकी जानकारी देते हुए बताया कि ‘जेकेएलएफ’के विरुद्घ ३७ प्राथमिकी प्रविष्ट हैं । जिनमें वायुसेनाके चार अधिकारियोंकी हत्याका प्रकरण और मुफ्ती मोहम्मद सईदकी बेटी रूबैया सईदके अपहरणका प्रकरण सम्मिलित है ।
उन्होंने कहा कि यह संगठन आतंकको बढावा देनेके लिए अवैध ढंगसे धन उपलब्ध करानेके लिए उत्तरदायी रहा है । यह संगठन धन एकत्रकर घाटीमें अशांति प्रसारितके लिए हुर्रियतके कार्यकर्ताओं और पत्थरबाजोंके मध्य धनके वितरण और विध्वंसकारी गतिविधियोंको बढावा देनेके कार्यमें भी सक्रिय रूपसे लिप्त रहा है ।
‘जेकेएलएफ’को अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर मान्यता मिली हुई थी और इसके विरुद्घ कार्यवाहीकी प्रक्रिया तीन माहसे चल रही थी । इससे पूर्व ‘जमात ए इस्लामी’पर भी प्रतिबन्ध लगाया जा चुका है । ये स्पष्ट संदेश देता है कि पृथकतावादके विरुद्घ शासनकी कडी नीति जारी है और इसे और कडा किया जा रहा है । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी इस प्रकरणमें गत कई दिनोंसे जम्मू कश्मीरमें छापेमारी कर रही थी । इस कडीमें ईडीने यासीन मलिकके कई ठिकानोंपर भी छापेमारी की थी ।
उल्लेखनीय है कि मोदी शासनने हाल हीमें ‘जमात-ए-इस्लामी’ संगठनको पृथकतावादियोंका पीछेसे समर्थन करके आरोपमें प्रतिबन्ध कर दिया था । साथ ही २६ फरवरीको आतंकियोंको धन उपलब्ध करानेके प्रकरणमें ‘एनआईए’ने घाटीमें कई स्थानोंपर छापेमारी की थी, जिसमें यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मीरवाइज उमर फारुक, मोहम्मद अशरफ खान, मसर्रत आलम, जफर अकबर भट्ट और सैयद अली शाह गिलानीके पुत्र नसीम गिलानीका नाम सम्मिलित हैं ।
छापेमारीके पश्चात २८ फरवरीको केन्द्रके मोदी शासनने ‘जमात-ए-इस्लामी’पर ५ वर्षके लिए प्रतिबंध लगा दिया था । इसके अन्तर्गत गृह मंत्रालयकी कार्यवाहीमें ‘जेईआइ’के प्रमुख हामिद फैयाज सहित ३५० से अधिक सदस्योंको बन्दी बनाया गया था । उल्लेखनीय है कि पुलवामा आतंकी आक्रमणके पश्चात केन्द्र शासन निरन्तर घाटीमें उपस्थित पृथकतावादी नेताओंपर नियन्त्रण कसती जा रही है ।
पृथकतावादी नेताओंपर केन्द्रकी कार्यवाही निरन्तर जारी है । इससे पूर्व जम्मू-कश्मीरके पृथकतावादी नेता सैयद अली शाह गिलानीके ठिकानोंपर अवैध ढंगसे विदेशी मुद्रा रखनेके आरोपमें छापेमारी की गई थी, जिसके पश्चात गिलानीपर १४.४० लाख रुपयेका अर्थदण्ड लगाया गया था । साथ ही लगहग ६.८८ लाख रुपये कुर्क भी किए गए थे । इसी मध्य ईडी सूत्रोंने इस बातकी जानाकारी दी थी कि गिलानीके साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय ‘जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’के पूर्व अध्यक्ष यासीन मलिकपर भी कार्यवाही कर सकती है ।
“एक आतंकी संगठन जो आतंकियोंको धन उपलब्ध करवा रहा था, जिसपर तीससे अधिक हत्या, अपहरण, और आपराधिक गतिविधियोंके अभियोग प्रविष्ट हैं, जो क्षेत्रमें आतंकी गतिविधियों, पत्थरबाजोंको समर्थन देनेमें अग्रणी था, वह अबतक बेरोक टोक चल रहा था, यह विचित्र भी है और हमारे शासकगणोंकी सुरक्षाके प्रति निष्ठाको भी उजागर करता है ! गत सप्ताह ही एक आतंक समर्थक संगठन उजागर हुआ था, इन सभी कार्यवाहीमें मोदी शासन निश्चय ही प्रशंसाका पात्र है; क्योंकि जो आजतक नहीं हुआ, वह मोदी शासन अन्तर्गत हो रहा है ! कांग्रेस देशको बताए कि ऐसे कितने और आतंकी संगठनोंको आश्रय दिया है ? और देश भी नेत्र खोलकर देख ले कि आजतक किस राजनीतिक दलको वोट देकर विजयी बनाते रहे हैं !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : आजतक
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