जून १५, २०१९
चीन शासनने नेपालमें चीनी भाषा मंदारिन पढानेवाले शिक्षकोंके वेतनका भार उठानेका प्रस्ताव दिया है । इस प्रस्तावका लाभ लेनेके लिए नेपालके कई निजी विद्यालयोंने मंदारिनकी शिक्षा अनिवार्य कर दी है !
नेपालके विद्यालयोंमें पाठ्यक्रम निर्धारित करनेवाले शासकीय विभाग करिकुलम डेवलपमेंट सेंटरके (सीडीसी) अनुसार, नेपालके विद्यालयोंमें विदेशी भाषा पढानेकी अनुमति है, यद्यपि विद्यालय किसी विदेशी भाषाको अनिवार्य नहीं कर सकते हैं ।
विद्यालयोंको इस नियमकी जानकारी है । इसके पश्चात भी इसके बिना वेतन दिए मंदारिनका शिक्षक मिलनेके लालचमें विद्यालय इसकी अनदेखी कर रहे हैं । सीडीसीके नियममें यह भी कहा गया है कि विदेशी भाषाकी शिक्षा विद्यालयमें पढाईके लिए निर्धारित समयमें नहीं होगी । सभी विद्यालय इस नियमकी अवहेलना कर रहे हैं ।
महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआइ) परियोजनाने यहां चीनकी उपस्थितिको और बढानेमें सहायता की है । भारत इस परियोजनाका विरोध करता रहा है; क्योंकि इसका एक भाग अधिकारवाले कश्मीरसे होकर जाता है ।
“सम्पूर्ण हिन्दू राष्ट्र रह चुका नेपाल लोकतन्त्रके आते ही जिहादियों, ईसाईयों और चीनके हस्तक्षेपसे आवेशित है और अब तो चीन चीनी भाषा पढाकर नेपालटर भी अधिकार करनेको सज्ज है, यह लोकतन्त्रका कटु सत्य है । भारतको सतर्क रहना चाहिए और इसपर अवश्य ही हस्तक्षेप करना चाहिए ।” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : जागरण
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