मई २७, २०१९
मध्यप्रदेशमें भगवान रामके धाम ओरछाको विश्वमें नूतन स्थान मिलने जा रहा है । मध्य प्रदेशके निवाडी जनपदमें स्थित ओरछाकी ऐतिहासिक धरोहरको भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षणके प्रस्तावपर ‘यूनेस्को’ने विश्व धरोहरोंकी ‘अस्थायी’ सूचीमें सम्मिलित कर लिया है । एएसआईने यह प्रस्ताव एक माह पूर्व अर्थात १५ अप्रैलको भेजा था । १६वीं शताब्दीमें बुंदेला राजवंशद्वारा बनवाए गए स्थापत्य कलाके उत्कृष्ट नमूनेको देखनेके लिए विश्वभरसे पर्यटक और श्रद्धालु यहां आते हैं और अब यूनेस्कोकी अस्थायी सूचीमें सम्मिलित होनेके पश्चात सभी आवश्यक प्रकिया पूर्ण करके यूनेस्कोके पास भेजा जाएगा ।
ओरछा स्थित रामराजा मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान रामको भगवानके रूपमें पूजनेके साथ ही राजाके रूपमें भी पूजा जाता है । इनको दिनमें पांचों पहर सशस्त्र रक्षकोंद्वारा ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ (सलामी) दी जाती है । ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देनेके लिए मंदिरके प्रवेश द्वारपर मध्य प्रदेशकी विशेष सैन्य बलके (SAF) ११ सैनिक तैनात रहते हैं, जो तीन-तीन घंटेके अंतरालसे नियुक्त रहते हैं । यह परम्परा लगभग ४०० वर्षोंसे चली आ रही है । मान्यताओंके अनुसार, यह प्रतिमा मधुकर शाहके राज्यकालके समय उनकी महारानी गणेश कुंवर अयोध्यासे लाई थीं ।
मंदिर बननेसे पूर्व इसे कुछ समयके लिए इसे महलमें स्थापित किया गया; परन्तु मंदिर बननेके पश्चात कोई भी प्रतिमाको उसके स्थानसे हिला नहीं पाया, जिसके पश्चात इसे ईश्वरका चमत्कार मानते हुए महलको ही मंदिरका रूप दे दिया गया और इसका नाम राम राजा मंदिर रख दिया गया । यहांके लोगोंका मानना है कि भगवान राम प्रत्येक दिवस अदृश्य रूपमें इस मंदिरमें आते हैं । ओरछा अपने रामराजा मंदिर, शीश महल, जहांगीर महल, बाग-बगीचे, खुले गलियारे, पत्थरोंवाली जालीका काम, वास्तुशिल्प आदिके कारण आकर्षणका केन्द्र बना हुआ है और आनेवाले दिनोंमें इसके विश्व धरोहरोंकी सूचीमें सम्मिलित होनेकी सम्भावना है ।
स्रोत : ऑप इण्डिया
Leave a Reply