गुरुग्राम मुस्लिम युवककी पिटाईके प्रकरणमें सत्य हुआ उजागर, मुस्लिम युवकने बोला था असत्य, बिना सोचे-समझे बोलनेवाला समाचार जगत करें क्षमा प्रार्थना !!


मई २८, २०१९

हरियाणाके गुरुग्राममें सदर बाजार स्थित जामा मस्जिदके पास शनिवार, २५ मई रात एक कथित रूपसे एक मुस्लिम युवककी टोपी फेंकने और उससे बलपूर्वक ‘जय श्रीराम’ बुलवानेवाले प्रकरणमें नूतन मोड आ गया है । पुलिसने जांचमें पाया है कि मुस्लिम युवक मोहम्मद बरकत अलीके साथ मारपीट अवश्य हुई है; परन्तु न तो उसकी टोपी फेंकी गई और न ही उसकी शर्ट किसीने फाडी थी !

पुलिसकी आरम्भिक जांचमें ही मुस्लिम युवकके आरोप निराधार दिख रहे थे । सीसीटीवीकी फुटेज देखनेपर सामने आया है कि युवकको आरोपीने नहीं, वरन एक अन्य युवकने रोका था । फुटेजमें न तो परिवादकर्ता युवककी टोपी फेंकी गई है और न ही उसके वस्त्र फाडनेकी कोई घटना है ।

पुलिसने बताया कि कहासुनीके पश्चित दोनोंमें हाथापाई हुई थी, जिससे मुस्लिम युवककी टोपी गिर गई । ‘टोपीको उसने स्वयं ही उठाकर जेबमें रख लिया था, किसी औरने उसे हाथ भी नहीं लगाया । यद्यपि, सीसीटीवी फुटेजमें दिख रहा है कि आरोपी बरकत अलीकी बाजूपर डंडा मारता दिख रहा है ।

पुलिसने इस प्रकरणमें १५ लोगोंको बन्दी बनाया था और उनसे पूछताछ की जा रही है । पुलिसने इस अभियोगको सुलझानेके लिए २४ घंटेके भीतर ५० से अधिक सीसीटीवी कैमरेकी फुटेज खंगाली है । फुटेजमें दिख रहा है कि मारपीटके पश्चात प्रकरण शांत हो गया था । झगडा होता देख पास ही झाडू लगा रहा व्यक्ति मौकेपर पहुंचा, जिसने दोनों पक्षोंको छुडवा दिया और प्रकरण शांत करवा दिया ।

पुलिस अधिकारियोंके अनुसार कुछ असामाजिक तत्त्व छोटी सी मारपीटकी घटनाको साम्प्रदायिक रंग देनेका प्रयास कर रहे हैं, जबकि यह शराबके नशेमें साधारण मारपीटकी घटना है । फुटेजको साफ करवानेके लिए परीक्षण केन्द्र (लैब) भेजा है, ताकि आरोपीकी पहचान करवाई जा सके ।

उल्लेखनीय है कि शनिवार रात बरकत अली सदर बाजार स्थित जामा मस्जिदसे अपने घर जा रहा था कि इस मध्य ६ युवकोंने उसे रोक लिया । आरोप है कि उनमेंसे एक युवकने उसे टोपी उतारनेको कहा और जय श्री राम और भारत माताकी जयके नारे लगानेको कहा । मना करनेपर उससे मारपीट की गई ।

उधर, पूर्वी देहलीसे नवनिर्वाचित सांसद क्रिकेटर गौतम गंभीरने ट्वीटरपर घटनाकी कडे शब्दोंमें निंदा की थी । उन्होंने लिखा कि एक मुस्लिम व्यक्तिकी टोपी उतारकर जय श्रीराम बोलनेपर बल देना निंदनीय है ।

“अब जब यह उजागर हो ही चुका है कि धर्मान्ध असत्य बोल रहा था तो क्या वे सभी समाचार माध्यम, जो इसपर चिल्ला रहे थे, क्षमा मांगेंगें ? क्या सांसद गौतम गम्भीर भी अपने वक्तव्यके लिए क्षमा प्रार्थना करेंगें ? सम्भवतः नहीं । वास्तवमें हम लोगोंको अल्पसंख्यकोंके तुष्टिकरणकी एक प्रकारकी लत लग चुकी है, फिर वह उचित हो या अनुचित और उसी लतने सभ्य हिन्दुओंको आतंकीके पदपर भी पहुंचा दिया है । यह लत अब परिवर्तित करनी पडेगी ताकि वास्तविकता सामने आए और गम्भीरको भी अब समझना चाहिए का यह खेलका मैदान नहीं है, जहां सब अच्छा हो, यह वास्तविक संसार है और यहां बिना सोचे-समझे बोलना उनकी छविको ही धूमिल करेगा ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

स्रोत : न्यूज १८



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