दिसम्बर १५, २०१८
बच्चोंके पाउडर बनाने वाली कम्पनी ‘जॉनसन एण्ड जॉनसन’ वर्षोंसे जानबूझकर कर्करोग (कैंसर) पैदा करने वाला पाउडर विक्रय कर रही है ! समाचार विभाग ‘रायटर्स’ने इसे उजागर किया है कि १९७० से लेकर २००० तक कम्पनी अपने उत्पादमें ‘एस्बेस्टस’का प्रयोग करती रही है और इस बातकी जानकारी कम्पनीमें कार्यरत प्रत्येक व्यक्तिको थी । एस्बेस्टससे कर्करोगका (कैंसरका) संकट होता है ।
‘रायटर्स’ने अपने विवरणमें कहा है कि कम्पनी कार्यकारी अधिकारीसे (एग्जिक्यूटिव) लेकर माइन संचालक, शोधकर्ता, चिकित्सिक और कंपनीके अधिवक्ताओंको इस बातकी जानकारी थी, परन्तु उन्होंने इसे बाहर नहीं आने दिया । १९७१ से २००० तक जॉनसन एण्ड जॉनसनके रॉ पाउडर और बेबी पाउडरका परीक्षणमें कई बार ‘एस्बेस्टस’ होनेकी बात सामने आई । यद्यपि अभी यह बात स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या कंपनीने इन उत्पादोंको केवल अमेरिकामें ही विक्रय किया, अथवा इनको अन्य देशोंमें निर्यात किया गया ?
कम्पनीने अमेरिकी नियामकोंपर दबाव बनाया था कि वो टेलकम पाउडरमें एस्बेस्टसकी मात्राको बढा दें । इसको कम करनेके प्रयासके विरुद्ध जाकरके उसने जो दबाव बनाया, उसमें वो काफी सीमा तक सफल हुई थी ।
इस विवरणके पश्चात अमेरिकी शेयर बाजारमें कम्पनीके स्टॉकमें शुक्रवारको १० प्रतिशतकी गिरावट प्रविष्ट की गई । ‘सीएनएन’ने लिखा कि २००२ के पश्चात यह कम्पनीके शेयर्समें सबसे बडी गिरावट है ।
‘सीएनएन’के अनुसार ‘जॉनसन एंड जॉनसन’ने ‘रॉयटर्स’के इस विवरणको एक पक्षीय और अनुचित बताया है । कम्पनीने कहा, “रॉयटर्सका लेख एकपक्षीय और असत्य है ।
“ यह प्रकरण सत्य है तो अवश्य चिन्ताका विषय है, जो भारतकी मां दुग्ध, दही स्नानको पिछडा मानकर बडे ही प्रेमसे अपने नन्हें शिशुओंपर यह कृत्रिम पाउडर डालती हैं, यह उनके लिए शिक्षा है कि समय बचाने और आधुनिकताकी अन्धी दौडमें बहुत कुछ पीछे छूट जाता है और इसमें भारतीय नियामक विभागपर प्रश्न चिह्न लग जाता है कि कैसे ऐसे विषकारी पदार्थोंको भारतमें अनुमति मिल गई ? क्या सम्बन्धित अधिकारी कार्यवाहीके पात्र नहीं ? क्या उन्हें उनका मासिक वेतन मिलना चाहिए ? स्वयं विचार करें !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : जी न्यूज
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