दारुल उलूम का एक और फतवा…इस बार बैंक से ब्‍याज लेने वालों के लिए


सहारनपुर।

लगातार फतवे जारी करने वाली इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने एक बार फिर फतवा जारी किया है। दारुल उलूम देवबंद ने ब्याज पर आधारित बैंकिग सैक्टर से बचने की सलाह दी है। एक सवाल के जवाब में दारुल उलूम देवबंद ने कहा है, ऐसे परिवार में विवाह करने से भी बचना चाहिए जिनकी आय का स्रोत बैंकिग प्रणाली हो, जो बैंक से भी ब्याज लेते हों।

एक व्यक्ति ने दारुल उलूम देवबंद के इफ्ता विभाग से पूछा था कि उसके विवाह के लिए ऐसी लड़कियों के रिश्ते आ रहे हैं जिनके पिता बैंक में नौकरी करते हैं। देश का बैंकिंग तंत्र ब्याज पर आधारित है और ब्याज इस्लाम में हराम है। इसलिए ऐसे परिवारों में शादी करना कैसा है?

तीन जनवरी को दारुल उलूम के मुफ्तियों की खंडपीठ ने जवाब में कहा, ऐसे परिवार में शादी नहीं करनी चाहिए, जहां सूद की कमाई हो। मुफ्ती इकराम ने सवालकर्ता को सलाह देते हुए कहा कि बेहतर होगा कि वह ऐसे घर की तलाश करें जहां पर सूद की कमाई न आती हो।

आठ वर्ष पूर्व भी दारुल उलूम देवबंद ने ब्याज पर आधारित देश की बैंकिंग प्रणाली से संबंधित एक फतवा जारी किया था। फतवे में दारुल उलूम ने बैंकिंग सेक्टर में मुसलमानों के नौकरी करने को नाजायज करार दिया था।

उसमें कहा था कि जो लोग सूद आधारित बैंकों में नौकरी कर रहे हैं उन्हें चाहिए कि वह अपने लिए दूसरी नौकरियों के विकल्प तलाश करें। क्योंकि इस्लाम की नजर में सूद लेना, देना या उसका गवाह बनना हराम है।

हाल ही में देवबंद ने महिलाओं को चुस्त और रंगीन बुर्के नहीं पहने का फतवा जारी किया था। कहा गया था कि ऐसे बुर्के इस्लाम के खिलाफ हैं।

नए साल को लेकर भी एक फतवा जारी किया गया था उसमें कहा गया था कि मुसलमानों को एक जनवरी को नया साल नहीं मनाना चाहिए। नए साल में केक काटना इस्लाम के खिलाफ है।



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