मई २७, २०१९
भारत एक लोकतन्त्र है और सबको अभिव्यक्तिकी स्वतन्त्रता है । इस देशमें फिर भी तथाकथित धर्मनिरपेक्षताका आतंकवाद इतना प्रसारित हुआ है कि स्वयंको हिन्दू कहना, हिन्दू राष्ट्रका समर्थन करना, हिन्दू धर्मका समर्थन करना अपराधकी श्रेणीमें आता है ।
‘एचडीएफसी’ बैंक नामक बैंकने अपने एक युवा कर्मचारीको चाकरीसे निकाल दिया है । वह काम नहीं कर रहा था इसलिए नहीं; वरन वो अभी अभिव्यक्तिकी स्वतन्त्रताका प्रयोग करते हुए हिन्दू राष्ट्रका समर्थन कर रहा था ।
हिन्दू राष्ट्रके समर्थनकी बात बैंकको ज्ञात हुई तो बैंक इतना भडक गया कि उसने कर्मचारीको त्वरित चाकरीसे बाहर कर दिया ।
अक्षय लोहाटी नामके व्यक्तिने कोई आपत्तिजनक बात नहीं कही थी, इस देशका विभाजन धर्मके आधारपर ही हुआ था, वो अपनी बात फेसबुकपर रख रहा था, न ही वो बैंकके परिसरमें भी कोई इस बातको लेकर किसी प्रकारकी कोई बात कर रहा था ।
लोहाटीके इस फेसबुक लेखकी परिवाद (शिकायत) उन्मादियोंने त्वरित बैंकसे की और बैंकने अक्षय लोहाटीको अपनी अभिव्यक्तिकी स्वतन्त्रताका फेसबुकपर प्रयोग करनेको लेकर चाकरीसे निकाल दिया ।
“इस देशमें हिन्दू बहुसंख्यक है; परन्तु तथाकथित धर्मनिरपेक्षताका पागलपन इसप्रकार छाया हुआ है कि एक हिन्दू अपनी बात भी नहीं रख सकता । सभी हिन्दू बैंकके इस कृत्यका मुखर होकर विरोध करें और अपने खाते बैंकसे वापस लेकर बैंकको इस बातका भान करवाए कि हिन्दू बहुल राष्ट्रमें हिन्दुओंके विधान अनुसार ही चलना होगा !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : डीबीएन
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