‘तालिबान’के आतङ्कियोंके साथ ही, अब ६० वर्षीय अफगानके वृद्ध भी १२ वर्षकी बालिकाको बना रहे पत्नी


१० सिंतबर, २०२१
      अफगानिस्तानमें ‘तालिबान’ शासन आनेके पश्चात चकित करनेवाला समाचार सामने आ रहा हैं । एक ओर ‘तालिबान’ है, जो महिलाओंके अधिकारोंका दमन कर रहा है । घर-घर बालिकाओंकी खोजकर बलात उनका ‘निकाह’ कराया जा रहा है । दूसरी ओर, सामान्य अफगानी भी हैं, जो इस परिस्थितिका लाभ उठाकर छोटी बालिकाओंका शोषण कर रहे हैं । ‘मीडिया’ प्रतिवेदनोंके (रिपोर्टोंके) अनुसार ऐसे कई प्रकरण उजागर हुए हैं, जब देखा गया है कि दूसरे देशोंमें शरण लेने पहुंचे ६० वर्षीय वृद्धोंद्वारा, १२ वर्षीय बालिकाओंको पत्नी बनाकर लाया जा रहा हैं ।
      ‘तालिबान’से रक्षाके नामपर अफगानिस्तानसे निकलकर दुबई तथा अमेरिकामें शरण लेने आए कुछ अफगानके लोगोंकी ये कुकर्म उजागर हुए है । अधिकारियोंके संज्ञानमें कई ऐसे प्रकरण आए हैं, जब कुछ अफगान वृद्धोंने छोटी-छोटी बालिकाओंको ‘तालिबान’के षड्यन्त्रसे रक्षाका आश्वासन देकर, उनसे दुष्कर्म किया एवं उनसे ‘निकाह’ कर लिया । छोटी बालिकाओंने दुबईमें स्वयं अधिकारियोंको आपबीती सुनाते हुए कहा कि कैसे अफगानिस्तानसे निकलनेके लिए उनसे बलात ‘निकाह’ करनेके पश्चात, दुष्कर्म किया गया ।
      अमेरिका ने १,२४,००० अफगान नागरिकोंको, उनके देशसे निष्कासित किया है । अब उन्हें, इस चुनौतीका सामना करना है कि वे किसे प्रवेश देंगे ? ‘प्रेस’ सचिव जेन साकीने, १ सितम्बरको कहा था कि अमेरिकामें आनेवाले लोगोंकी पृष्ठभूमिको (बैकग्राउंडको) जांचे बिना, उन्हें नहीं रखा जाएगा; परन्तु सामने आए प्रतिवेदनोंसे, ऐसी प्रक्रियापर सन्देह उत्पन्न हो रहा है ।
       प्रश्न ये किया जा रहा है कि जब पूर्वमें अफगानिस्तानमें विवाहकी आयु बालिकाकी १६ वर्ष निश्चित थी तो पुनः १२ वर्षकी बालिकाओंसे विवाह कैसे उचित है ? एक अधिकारी कहते हैं, “हमारी दृष्टिमें ये विवाह वैध नहीं हैं । ये बालिकाएं, ‘तालिबान’से रक्षितकर लाई गई हैं अथवा किसी अन्य वेश्यावृत्ति हेतु  (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) यहां लाई गई हैं । हम सुनिश्चित रूपसे नहीं कह सकते; किन्तु ये हमारी चिन्ताएं हैं ।”
      धर्मान्धोंको अबला बच्चियों एवं स्त्रियोंपर अत्याचार करने हेतु अब ‘तालिबान’ उनका आदर्श है; किन्तु इसमें आश्चर्य करनेकी कोई बात नहीं है, वैसे भी ये धर्मान्ध दूधके धुले कब थे  ? ऐसे देशों तथा ऐसे वासनान्ध लोगोंका सर्वनाश होना निश्चित है । इतिहास इसका साक्षी है ! – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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