मई ७, २०१९
श्रीलंकाके पुलिस और सैन्य प्रमुखोंने दावा किया है कि ईस्टर आत्मघाती विस्फोटमें सम्मिलित सभी इस्लामिक चरमपन्थियोंको बन्दी बना लिया गया है अथवा उनका अन्त कर दिया गया है । उन्होंने कहा कि देश अब सुरक्षित है और सामान्य होनेकी ओर अग्रसर है । त्रिस्तरीय कमांडर्स और पुलिस प्रमुखोंने संवाददाता सम्मेलनमें यह जानकारी दी ।
सुरक्षा बलोंने कहा कि २१ अप्रैलको हुए आक्रमणके पश्चातसे देशकी सुरक्षाके लिए पर्याप्त पग उठाए गए हैं और इस बातके उपाय किए जा रहे हैं कि विशेष सुरक्षा योजनाको पारित किया जाए । इस आक्रमणमें २५७ लोगोंकी मृत्यु हो गई थी । कार्यकारी पुलिस महानिरीक्षक चंदाना विक्रमसिंघेने कहा कि उन सभी लोगोंको पकडा जा चुका है या उन्हें मार दिया गया है, जिनका प्रत्यक्ष सम्बन्ध ३ गिरजाघरों और ३ शाही विश्रामालयोंमें हुए विस्फोटसे था ।
उन्होंने कहा कि इसमें प्रयुक्त सभी विस्फोटकोंका सम्बन्ध सम्भवतया स्थानीय इस्लामिक संगठन ‘नैशनल तौहीद जमात’से है । उन्होंने यह नहीं बताया कि कितने लोगोंको बन्दी बनाया गया है; परन्तु पुलिस प्रवक्ता रूवान गुणाशेखरने सोमवार, ६ मईको कहा था कि ९ महिलाओं सहित ७३ लोगोंको बन्दी बनाकर उनसे पूछताछ की जा रही है ।
पुलिस प्रवक्ताने यह भी कहा कि आपराधिक जांच विभागने इस ‘जमात’से सम्बन्धित १४ कोटि डॉलरकी नगदी और सात अरबकी अन्य परिसम्पत्तियांका अभिज्ञान किया है । इस्लामिक स्टेट आतंकी समूहने इस आक्रमणका उत्तरदायित्व लिया है । इस आक्रमणमें ढाई सौसे अधिक लोग मारे गए । विश्वभरमें पीडितोंको श्रद्धाञ्जलि दी गई ।
“छोटासा देश श्रीलंका इतने बृहद कृत्यके लिए अवश्य ही प्रशंसनीय है । सभी राष्ट्रोंको विशेषतः भारतको हमारे पडोसी देशसे कुछ सीख लेनी चाहिए कि कैसे इस्लामिक आतंकियोंका अन्त किया जाता है ? श्रीलंकाने इस प्रकरणमें कोई तुष्टिकरण न दिखाते हुए स्पष्ट कार्यवाही की है, दोषी मौलवियोंको अपने देशमें और हानिके लिए नहीं रखा वरन उठाकर फेंक दिया और प्रत्येक घरका अन्वेषण किया गया और शासनकी इस कठोर कार्यवाहीमें किसी समुदाय विशेषकी भावनाएं भी आहत नहीं हुई ! यह है कर्त्तव्यनिष्ठा और शासनकी शक्ति ! भारत इससे सीख ले और बिना तुष्टिकरणके बारेमें सोचे, प्रखर कार्यवाही करे और भारतकी जनताको भयमुक्त करें !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : नभाटा
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