क्यों करें बेलफलका सेवन ?


बेलफलको कई नामोंसे जाना जाता है । इसे श्रीफल, ‘वुड एप्पल’ और बेलपत्थर आदि कहा जाता है । भारतके प्राचीन ग्रंथोंमें भी बेलके पत्तोंके धार्मिक महत्त्वके बारेमें बताया गया है । बेलके पत्तोंको भगवान सदा शिवको चढानेसे अक्षय पुण्यकी प्राप्ति होती है ऐसा शिवमहापुराणमें कहा गया है क्योंकि यह शिवके निर्गुण तत्त्वोंको ब्रहमाण्डसे आकृष्ट कर पूजकके सूक्ष्म पिण्डमें पहुंचाता है; इसलिए शिवपूजामें बेलपत्रकी आवश्यकता होती है ।
बेलफलका रस पीनेसे आपको कई प्रकारके लाभ स्वास्थ्यकी दृष्टिसे मिल सकते हैं जिससे आप और आपका परिवार अनेक रोगोंसे बच सकता है । आयुर्वेदमें इसके कई लाभोंका उल्लेख मिलता है । पेडसे टूटनेके कई दिनों उपरान्त भी इसका उपयोग किया जा सकता है । बेलफलका उपयोग कई प्रकारकी औषधियोंको बनानेमें तो किया जाता है ही साथ ही ये कई स्वादिष्ट व्यंजनोंमें भी प्रमुखतासे उपयोग होता है । बेलफलमें ‘प्रोटीन’, ‘बीटा-कैरोटीन’, ‘थायमीन’, ‘राइबोफ्लेविन’ और ‘विटामिन सी’ भरपूर मात्रामें पाया जाता है ।
बेलफलका रस बनानेकी विधि : सबसे पहले आप बेलके फलको तोडें और इसके भीतरसे गूदेको बाहर निकाल लें । अब इस गूदेको दो घण्टेतक पानीमें भिगोकर रख लें । उसके पश्चात किसी छलनीसे इस गूदेको दबाकर रस छान लें और इस रसमें गुड, जीरा पाउडर और हल्का नमकको अच्छेसे मिला लीजिए और  इसमें आवश्यकतानुसार जल मिलकर इसका सेवन कीजिए |

ग्रीष्म ऋतुमें होनेवाली समस्याओंमें बेलका रससे लाभ : ग्रीष्मकालमें शरीरसे ऊर्जा तीव्रतासे न्यून हो जाती है । ऐसेमें शरीरको शीतल तथा ऊर्जावान बनानेके लिए बेलका रस पीना चाहिए । बेलके रसमें पोषक तत्त्वोंकी मात्रा अत्यधिक होती है जो शरीरको तीव्र गर्मीमें भी शीतलता देती है । आप बेलका रस प्रातः अल्पाहारसे एक घण्टे पहले और रातको भोजनके भी एक घण्टे पहले बेलका रस पी सकते हैं ।
मधुमेहको (डायबिटीजको) नियन्त्रित करनेमें बेलफलकी भूमिका :  इसमें कोई सन्देह नहीं है कि बेलके रसका सेवन करनेसे मधुमेहको नियन्त्रित किया जा सकता है । बेलमें विद्यमान औषधीय तत्त्व रक्त शर्करा स्तरको बढने नहीं देते हैं । इसके साथ-साथ बेल उचित मात्रामें शरीरमें ‘इंसुलिन’ नामक तत्त्व उत्पन्न करता हा जो मधुमेह को नियन्त्रित करता है | मात्र मधुमेहके रोगी इसमें ऊपरसे गुड या शक्कर न मिलाएं |
उदर रोगोंमें बेलफलका उपयोग : बेलफलमें कई प्रकारके पोषक तत्त्व होते हैं, जैसे लैक्सटिव जो पेटके व्रणोंको (अल्सरको) ठीक करनेमें सहायक होते हैं । साथ ही बेलफल हमारे पाचन तन्त्रको कई रोगोंसे बचाता है और उसे सुदृढ बनाता है । आंतोंमें होनेवाले कीडे भी बेलफलका रस पीनेसे समाप्त हो जाते हैं । साथ ही यह अम्लपित्तको (एसिडिटीको) भी ठीक करता है । बेलफलका रस पीनेसे आपकी मलावरोधकी (कब्जकी) समस्या ठीक होती है ।
शरीरको बनाए रोगोंसे लडनेमें सक्षम : शरीरको संक्रमणसे होनेवाले रोगोंसे बचाता है बेलफलका रस । रक्तकी अशुद्धिको स्वच्छ करना और उसमेंसे विषाक्त तत्त्वोंको निकालनेका काम करता है बेलफलका रस । यदि आप नित्य बेलफलका रस पीते हैं तो यह शरीरमें होनेवाली विषाक्तताको (टोक्सिनको) समाप्त कर देता है ।

बेलफलका रस पीनेके अन्य लाभ

  • बेलफलके रसमें कुछ बूंदें गोघृतकी मिलकर पीनेसे हृदयाघातकी आशंका न्यून होती है |
  • अपान वायुकी (गैस, एसिडिटीकी) समस्यामें नियमित रूपसे बेलफलका रस पीनेसे समाप्त होती है ।
  • आयुर्वेदमें बेलफलके रसको पेचिशमें (दस्तमें) लाभदायक माना गया है ।
  • बेलफलके रसको मधुके (शहदके) साथ मिलाकर पीनेसे अम्लपित्तमें लाभ मिलता है ।
  • नियमित रूपसे बेलफलका रस पीनेसे स्तनके कर्करोग (ब्रेस्ट कैंसर) होनेकी आशंका अत्यन्त न्यून हो जाती है ।


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