अनुनासिक शब्दमें चन्द्रबिन्दुका उपयोग न करें !


हिन्दी भाषामें उर्दूका अनुकरण करते हुए चन्द्रबिन्दुका प्रयोग किया जाने लगा है, यह भी हिन्दीकी सात्त्विकताको घटाता है ।
हिन्दी भाषाका जन्म संस्कृतसे हुआ है और संस्कृतमें चन्द्रबिन्दुका प्रयोग नहीं किया जाता है, केवल बिन्दुका प्रयोग किया जाता है, इस दृष्टिसे भी हिन्दीमें चन्द्रबिन्दुका प्रयोग अनुचित ही है । चन्द्रबिन्दु अनुनासिकका प्रयोग करते समय लगाया जाता है । अनुनासिक स्वरोंके उच्चारणमें मुखसे अधिक  तथा नाकसे बहुत अल्प श्वास निकलती है । इन स्वरोंपर चन्द्रबिन्दुका (ँ) प्रयोग होता है जो शिरोरेखाके ऊपर लगता है, जैसे – आँख, माँ, गाँव, साँस, मुँह, काँच, ऊँचाई, पाँच, दाँत, पूँछ आदि । अब इन्हीं शब्दोंको मात्र बिन्दुका प्रयोग करते हुए लिखते हैं – आंख, मां, गांव, सांस, मुंह, कांच, ऊंचाई, पांच, दांत और पूंछ । मात्र बिन्दुका प्रयोग करके लिखे हुए शब्दोंको पढनेपर भी इनके उच्चारणमें कोई अन्तर नहीं आता है; यदि चन्द्रबिन्दु हिन्दीका अंग होता तो इन शब्दोंके अर्थ परिवर्तित हो जाते ।



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