एक अधिकोष (बैंक) कर्मचारीको ईसाई होनेके कारण पाकिस्तानमें चाकरीसे निकाला
२८ अप्रैल, २०२१
पाकिस्तानमें एक अधिकोष (बैंक) कर्मचारीको कथित रूपसे ईसाई होनेके कारण चाकरीसे निकाल दिया गया । वसीम मकबूल नामका यह अधिकोष कर्मचारी ‘सेल्स’ व आयकर भरने सम्बन्धित विभागका मुख्य था । कुछ दिवस पूर्व ‘फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू’ने उसके विरुद्ध जांच की और चाकरीसे निकाल दिया । अब उसने न्यायके विश्वाससे कैथलिक ‘चर्च जस्टिस कमीशन’में परिवाद प्रविष्ट की है ।
‘यूसीए’ समाचारके अनुसार, ‘नेशनल बैंक ऑफ’ पाकिस्तानने वसीम मकबूलपर किसी वसीम शहजादके साथ ‘एफबीआर’ उपयोगकर्ता ‘आईडी’ और ‘पासवर्ड’ साझा करनेका आरोप लगाया था । वर्ष २०१८ में इस वसीम शहजादने आत्महत्या कर ली थी । वह भी अधिकोषमें ही कार्य करता था ।
अपने परिवादमें मकबूलने बताया कि शहजादने ३ करोड रुपएका हाथोंसे लिखा आहरणपत्र अपने पिता और भाभीके खातेमें भेजा । वह अधिकोष प्रबन्धकके निर्देशोंपर धन एकत्रित करता था । २ वर्ष पूर्व प्रकरणमें जांचके पश्चात समस्त मुसलमान कर्मचारियोंको निर्दोष प्रमाणित कर दिया गया; किन्तु मुझे चाकरीसे बाहर कर दिया गया । अब महामारीके समयमें चाकरी मिलना अत्यधिक कठिन है ।”
इस प्रकरणमें अधिवक्ता बेहराम खानने कहा कि, यह दुःखद है कि यहां धार्मिक रूपसे अल्पसङ्ख्यकोंको सहजतासे लक्ष्य बनाया जाता है । मुसलमान नागरिकोंके रक्षण हेतु मकबूलको ‘बलिका बकरा’ बनाया गया ।
पाकिस्तानमें अल्पसङ्ख्यकोंपर अत्याचार नूतन घटना नहीं है । हिन्दुओंके साथ-साथ वहां अन्य पन्थोंको भी अत्यधिक प्रताडित किया जाता है । इनमें अधिकतर लोग अशिक्षित हैं और स्वच्छताकर्मी, किसानी या दिहाडी श्रमिकका कार्य करते हैं ।
अभी नूतन घटनाके अनुसार, एक हिन्दू युवतीको भी पाकिस्तानमें एक अधेडके साथ बलपूर्वक विवाह करवाया गया; अतः पाकिस्तान जैसे राष्ट्रको समझाना भी मूर्खता है । इसका एक पर्याय ही रहता है, वह है आतङ्की राष्ट्रका नाश । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
स्रोत : ऑप इंडिया
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