मार्च १०, २०१९
ब्रिटेनमें प्रथम बार किसी व्यक्तिको खतना करनेके लिए कारावासका दण्ड सुनाया गया है । ब्रिटेनके एक न्यायालयने महिलाको ३ वर्षकी बच्चीका ‘खतना’ करनेके लिए ११ वर्ष कारावासका दण्ड दिया है । न्यायालयने इसे अप्राकृतिक क्रूरताकी श्रेणीमें रखते हुए कहा कि घरमें बच्चीके साथ यह क्रूरता हुई, जहां उसे स्वयंको सबसे सुरक्षित अनुभव करना चाहिए था ।
न्यायाधीश फिलिपा व्हिपलने दण्डकी घोषणा करते हुए कहा, “यह समूचि सूचिसे स्पष्ट होना चाहिए कि एफजीएम (महिलाओंका खतना) भी बच्चोंके साथ यौन शोषणका ही एक रूप है ।” युगांडा मूलकी महिलाको दण्ड देते हुए न्यायालयने कहा, “यह एक अत्यधिक क्रूर प्रथा है ।”
ब्रिटेनमें ३० वर्षसे अधिक समयसे इस क्रूर प्रथाको बंद किया जा चुका है । इसके पश्चात महिलाको इस प्रकरणमें सजा सुनाई गई है । न्यायाधीशने महिलाके अपराधको गम्भीर और क्रूरकी श्रेणीमें मानते हुए कठोर दण्ड देनेका निर्णय किया । न्यायालयने घरमें हुए खतनाको भी गंभीर प्रकरण बताया ।
न्यायालयने निर्णयमें कहा, “ इस अभियोगमें एक मांके रूपमें एक संरक्षकके रूपमें दोषी महिलाने बच्चीका विश्वास तोडा है !”
“न्यायाधीश जिन भावनाओंका वर्णन कर रहे हैं, वह साधारण मानवोंके लिए हो सकती है; परन्तु धर्मान्धोंके लिए नहीं; क्योंकि उन्होंने बुद्धि, विवेक व भावनाएं सदाके लिए ‘शरियत’के नीचे दबा दी है ! जहां एक ओर विश्व विज्ञानकी नूतन ऊंचाइयोंको छू रहा है, वहीं धर्मान्ध अभी भी निराधार व विज्ञानहीनके पीछे पडे हैं ! एक छोटे बालकके अंगोच्छेदनको किसी भी प्रकारसे उचित नहीं बताया जा सकता है ! धर्मनिरपेक्षवादी कृपया इसकी तुलना कर्णोच्छेदनसे कर मूढताका परिचय न दें । इस्लामकी यह कुप्रथा जब अब सभी देश समझने लगे हैं तो अब यह प्रथा भारतमें भी पूर्णतया बन्द होनी चाहिए !” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : नभाटा
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