चीनमें शिविरमें प्रशिक्षणके नामपर अमेरिकी कंपनीके लिए बनवाए जा रहे खिलाडियोंके वस्त्र


दिसम्बर १९, २०१८

चीनके पश्चिमी क्षेत्रमें कटीले तारोंसे घिरा एक परिसर, जिसके भीतर कोई ३० डोरमेटरी, विद्यालय, गोदाम और कार्यशालाएं हैं । इसकी देखरेख सैंकडों कैमरे और सुरक्षाकर्मी कर रहे हैं । जी हां, यह शिंजियांग प्रान्तमें बढ रहे नजरबंदी शिविरमेंसे एक है, जिन शिविरोंमें १० लाख मुसलमानोंको नजरबंद रखा गया है । इन लोगोंको बलात् उनके धर्म और भाषासे दूर किया जा रहा है ।

इन शिविरोंमें महिलाओं और पुरुषोंसे बलात् खिलाडियोंके वस्त्र बनवाए जा रहे हैं, जो अमेरिकी उद्योग और विद्यालयके स्पोर्ट्स टीमको भेजे जाते हैं । चीनी शासन उन्हें विनिर्माण और खाद्य उद्योगमें काम करनेके लिए विवश कर रहा है । कुछ कारखाने तो इस शिविरके भीतर हैं तो कुछ निजी हाथोंद्वारा चलाए जा रहे हैं या उन्हें शासनसे छूट प्राप्त है । यह जानकारी सामने आई कि बलात् श्रम कर बनाए गए सामानको ग्लोबल सप्लाई चेनमें रोकना कितना कठिन है । इनमेंसे कुछ शिपमेंट अवैध हैं । वहीं, यूएस बैजरके सीईओ जॉन एंटनने रविवारको कहा है कि जब तक वह प्रकरणकी जांच करती है, सामान कहीं और बनवाया जाएगा ।

उधर, चीनी अधिकारी इन शिविरोंको प्रशिक्षण केन्द्र बुलाते हैं । उनका दावा है कि वहां उइगुर, कजाखा और अन्य लोगोंको निशुल्क वोकेशनल प्रशिक्षण दिया जा रहा है । उनका कहना है कि इसका लक्ष्य शिंजियांगमें निर्धनता हटाकर अल्पसंख्यकोंको आधुनिक सभ्य विश्वका भाग बनाना है । वे यह भी दावा कर रहे हैं कि जो लोग केन्द्रमें आ रहे हैं, उन्होंने व्यवसायिक प्रशिक्षणके लिए सन्धिपर हस्ताक्षर भी किया है ।

चीनी विदेश मन्त्रालयकी प्रवक्ता विदेशी मीडियापर आरोप लगा रहे हैं कि वह प्रशिक्षण केन्द्रके बारेमें झूठे विवरण प्रकाशित कर रही है । प्रवक्ता हुआ चुनिंगने नियमित प्रेस ‘ब्रीफिंग’में कहा, ‘वे विवरण आधारहीन हैं, कही सुनी बातोंपर आधारित हैं ।”
यद्यपि, दशकाधिक लोग, जो वहां स्वयं रह रहे हैं या उनके सम्बन्धी हैं, उनका कहना है कि केन्द्रके भीतर लोगोंको कोई और विकल्प नहीं दिया गया है । इनमेंसे अधिकांश उइगर और कजाख्स मुसलमान हैं । वहीं, इन कारखानोंमें काम करने वालोंमें कुछको कोई पैसा नहीं दिया जा रहा, जबकि कुछ लोग एक माहमें सैंकडों डॉलर अर्जित कर रहे हैं । उनका कहना है कि यह राशि शिंजियांगमें निर्धनोंकी न्यूनतम श्रमिकसे थोडा अधिक है ।

 

“चीनको सम्भवतः ज्ञात है कि खुला छोडनेपर स्थिति भारत जैसी होगी, तभी वह कडे पग उठा रहा है । भारतमें राष्ट्र विरोधी कृत्य किए जाते है, नारे लगते हैं, रहांके अपने ही मूल निवासी हिन्दू द्वितीय श्रेणीके नागरिक समान जीवन व्यतीत कर रहे हैं और ऐसेमें भारतीय प्रशासनको चीनसे कुछ सीखना चाहिए !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

 

स्रोत : नभाटा



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