जून २१, २०१८
जापानमें समयके अनुशासनको लेकर नियम काफी कडे हैं । यहां एक-एक मिनटका गणित रखा जाता है । इससे सम्बन्धित ऐसा ही एक प्रकरण बुधवारको सामने आया । यहां जल विभागमें कार्य करने वाले एक अधिकारीके भोजनसे केवल ३ मिनट पूर्व स्थान छोडनेपर विभागको समाचार माध्यमोंकेद्वारा जनतासे क्षमा मांगनी पडी । ६४ वर्षके इस अधिकारीपर कई दिनोंसे दृष्टि रखी जा रही थी । यह गत ७ माहमें २६ बार भोजनसे पूर्व अपना स्थान छोडकर जानेका दोषी पाया गया । विभागने इसकी एक दिनका आधा वेतन ही नहीं काटा, बल्कि पुनः ऐसा न करनेके लिए चेतावनी भी दी !
विभाग ने कहा, हमारा भोजनके लिए विश्राम दोपहर १ बजे होता है; लेकिन दोषी अधिकारीने इससे पूर्व अपना स्थान छोड दिया । हमें इस तरहके व्यवहारके लिए दुख है, हम क्षमायाचना करते हैं । जल विभागके अनुसार, अधिकारीको लोक सेवा विधानके अनुसार उल्लंघनका दोषी पाया गया था । इसके अनुसार, कामके समय कर्मचारियोंको अपने कामपर ध्यान देना होता है ।
जापानमें सामाजिक प्रसि माध्यमोंपर इस घटनाका उपहार किया है । ‘ट्विटर’पर एक उपभोक्ताने लिखा, “ये तो पागलपन है, क्या कोई अपने स्थानसे ‘सिगरेट’ पीनेके लिए भी नहीं उठ सकता !” वहीं, एक और उपभोक्ताने लिखा, “ये एक नीचले स्तरका उपहास किया है, क्या इसका ये अर्थ है कि लोग लघुशंका भी नहीं जा सकते हैं !” कोबेके अधिकारीयोंने इसी वर्ष फरवरीमें एक कर्मीको कार्यालयके समय भोजन लेनेके लिए स्थान छोडनेपर एक माहके लिए निवृत्त कर दिया था !
जापानमें कर्मचारियोंको सदैव ही अपने समयकी अनुशासनबद्धता के लिए जाना जाता है । यहां लोग अपना कार्य समाप्त करनेके लिए अतिरिक्त समय भी कार्य करते हैं । इसके बाद भी कई बार लम्बे कार्यके समय और उससे सम्बन्धित कठिन नियमोंके कारण लोग सदैव तनावसे जूझते हैं । जापानके निचले सदनमें गत माह ही कार्यके घण्टोंको लेकर एक विधान पारित किया गया है, जिसके अनुसार कोई भी कर्मचारी एक महीनेमें १०० घण्टेसे अधिक अतिरिक्तसमय कार्य नहीं कर सकता । यह विधान अतिरिक्त कार्यभारसे बढ रही मृत्युको देखते हुए प्रस्तावित किया गया है । २०१६ में जापानकी संसदमें लाए गए एक श्वेतपत्रमें शासनने कहा कि अधिक कार्यके कारणसे हर पांचमें से एक कर्मचारीपर मृत्युका संकट है !
स्रोत : दैनिक भास्कर
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