मांसाहार क्यों न करें ? (भाग – १४)


विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) मांस उत्पादोंको ‘एस्बेस्टस’ और ‘सिगरेट’की भांति कैंसरजनक (कारसेनोजिनिक) तत्वोंमें वर्गीकृत करता है । आपको बता दें, विदेशोंमें संसाधित मांसकी खपत बहुत अधिक है और भारत इसका एक प्रमुख निर्यातक है |

इस उप-शीर्षके अंतर्गत भिन्न उत्पाद इस प्रकारसे हैं

  • सौसेजेज और कैन्ड मीट
  • होमोजेनिज्ड मीट प्रिप्रेशन्स
  • परिरक्षित मांस
  • अन्य पॉल्ट्री मांस
  • बोवाइन पशुओंके संरक्षित मांस

मांस ‘एक्स्ट्रैक्ट’ और मांस जूस :

भारतकी कुल प्रसंस्करण क्षमता प्रतिवर्ष एक मिलियन टन है, जिसमेंसे ४०-५० प्रतिशत ही उपयोग हो पाता है । भारतद्वारा १८,९५, ४९७.०५ टन मांस, अधिकांशतः भैंसके मांसका निर्यात किया जाता है ।

भारतने वर्ष २०१७-१८ में विश्वभरमें २६९.६६ मेट्रिक टन प्रसंस्कृत मांसका निर्यात किया और ९.९१ कोटि रुपए / १.५४ मिलियन अमरीकी डॉलर अर्जित किए ।

भारत जैसे आध्यात्मिक देशके लिए ये आंकडे लज्जाजनक हैं ! इसलिए हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना अति आवश्यक है !



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution