आयुर्वेद अपनाएं स्वस्थ रहें (भाग – २५.४)


कल हमने प्याजके कुछ लाभोंके विषयमें जाना था, आज हम इससे होनेवाले कुछ अन्य लाभोंके विषयमें जानेंगें –
* केशके लिए : जूं और केशके झडनेसे छुटकारा पानेके लिए खोपडीकी खाल या ‘स्कैल्प’पर प्याजके रसका प्रयोग करें । यह केशके लिए अति उत्तम है । प्याजके रसको केशमें लगाएं और उंगलियोंसे मालिश करें, तदोपरान्त थोडे समयमें अपने केशको अच्छी प्रकारसे धो लें, इससे केशका झडना अल्प हो जाएगा । साथ ही, इससे रूसी भी दूर होगी और केशका प्राकृतिक रंग बना रहेगा । यह प्राकृतिक ‘कंडीशनर’के रूपमें भी कार्य करता है । केशमें प्याजका रस लगानेसे बाल घने बनते हैं । यह केशको शीघ्र लम्बा करनेमें भी सहायता करता है । एक अध्ययनमें, प्रतिभागियोंने प्याजके रससे कई दिनोंतक अपने केशको धोया और इस अध्ययनमें यह देखा गया कि दूसरे लोगोंकी तुलनामें उनके बाल अधिक घने और शीघ्र लम्बे हुए ।
* खांसीमें : प्याजके रस और मधुको (शहदको) समान मात्रामें मिला लें, यह मिश्रण खराब गले और खांसीके लक्षणोंको दूर कर सकता है ।
* एनीमियाके (रक्तअल्पताके) लिए : लौहतत्त्वकी न्यूनताके कारण ‘एनीमिया’ जैसे रोग होते हैं, जो कभी-कभी भयावह रूप भी ले सकते हैं । प्याज इसकी चिकित्सामें अत्यधिक सहायक हो सकता है; क्योंकि १०० ग्राम प्याजमें लगभग ०.२ ग्राम लोहा और ‘फोलेट’ पाया जाता है । ‘फोलेट’ एक ऐसा पादपरासायनिक (फाइटोकेमिकल) है, जो लोहेको शरीरमें अपनी पूरी क्षमताके साथ अवशोषित करनेमें सहायता करता है । ‘एनीमिया’की चिकित्साके लिए गुड और जलके साथ प्याज खानेसे अत्यधिक लाभ मिलता है; क्योंकि यह शरीरमें लोहे जैसे खनिजको बढाकर लाल रक्त कोशिकाओंके उत्पादनमें सहायता करता है; अतः आहारमें उचित मात्रामें प्याजके सेवनसे रक्तल्पताके लक्षणको रोका जा सकता है ।
* उदर रोगमें : प्याज रेशामें (फाइबरमें) समृद्ध है, जो प्राकृतिक रेचकके (नैचुरल लैक्सेटिव) रूपमें कार्य करता है और मल त्यागको सरल बनाता है । प्याजमें मिलनेवाले रेशे, आंतोंको स्वच्छ करने और शरीरसे अपशिष्टको हटानेमें सहायता करता है । प्याजमें ‘सैपोनिन’ भी पाया जाता है, जो उदर वेदना और ऐंठनमें लाभप्रद है । प्याजमें सूजनको अल्प करनेवाले और जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो उदर रोग और उससे सम्बन्धित ‘गैस्ट्रिक सिंड्रोम’में लाभप्रद है । इसके अतिरिक्त कोष्ठबद्धता (कब्‍जकी समस्‍या) होनेपर कच्चे प्‍याजका सेवन करना अत्यधिक लाभप्रद होता है । प्‍याजमें उपस्थित ‘फाइबर’ उदरके भीतर चिपके हुए भोजनको बाहर निकाल देता है, जिससे उदर स्वच्छ हो जाता है ।
* मूत्र पथके संक्रमणके लिए : पेशाबके समय जलनसे पीडित लोगोंके लिए प्याज अत्यधिक लाभ प्रदान कर सकता है । इस स्थितिसे पीडित लोगोंको ६ से ७ ग्राम प्याजके साथ उबला हुआ जल पीना चाहिए ।
* पथरीके लिए : प्याजके रसको शक्करमें मिलाकर शरबत बनाकर पीनेसे पथरीसे छुटकारा मिलता है । प्याजका रस प्रातः खाली पेट पीनेसे पथरी अपने-आप कटकर पेशाबके रास्तेसे बाहर निकल जाती है ।
* गठिया के लिए : गठियामें प्याज अत्यधिक लाभप्रद होता है । गठियामें सरसोंका तेल व प्याजका रस मिलाकर मालिश करें, लाभ होगा ।
* लू लगनेपर : ग्रीष्म ऋतुमें प्याज खानेसे लू नहीं लगती है । लू लगनेपर प्याजके दो चम्मच रसको पीना चाहिए और सीनेपर रसकी कुछ बूंदोंसे मालिश करनेपर लाभ होता है । एक छोटा प्याज साथमें रखनेपर भी लू नहीं लगती है ।
कल हम प्याजके कुछ अन्य लाभों व सावधानियोंके विषयमें जानेंगें ।


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