सितम्बर ३०, २०१८
सऊदी अरबमें भिन्न-भिन्न प्रसारण-कक्षमें (स्टुडियोमें) प्रशिक्षकके निर्देशपर लोग ‘अनुलोम-विलोम’ और योगके विभिन्न अभ्यास करते हैं ! इनमें महिलाओं-छात्राओंका भी समूह रहता है । कट्टरपन्थी इस्लामिक देशमें एक वर्ष पहले योगके इन आसनोंको सिखानेपर प्रशिक्षकोंको अवैध बताए जानेका भय रहता था । सामान्य रूपसे योगको हिन्दुओंकी आध्यात्मिक परम्परासे जोडकर देखा जाता है । दशकोंतक सऊदी अरबमें इसकी आज्ञा नहीं थी और इस्लामके इस गढमें गैरमुस्लिमोंकी प्रार्थनापर प्रतिबन्ध है । कट्टरपन्थियोंको दरकिनार करते हुए उदारवादी रवैयेके द्वारा शहजादे मोहम्मद बिन सलमानके ‘खुले और उदारवादी’ इस्लामको अपनानेके साथ देशमें गत वर्ष नवम्बरमें योगको क्रीडाके रूपमें मान्यता दी गई !
सऊदी अरबमें योगके प्रसारके लिए नऊफ मरवाईने बहुत प्रयास किया । उन्हें अतिवादियोंकी चेतावनीका सामना भी करना पडा, जो योगको इस्लामके साथ जोडना असंगत बताते हैं । सऊदी अरबमें सैकडों योग प्रशिक्षकोंको प्रशिक्षित करने वाली अरब योग फाउण्डेशनकी ३८ वर्षीय प्रमुखने कहा, ‘‘मुझे परेशान किया गया और घृणा भरे कई सारे सन्देश भेजे गए !’’
जेद्दामें ‘रेड सी सिटी’में एक निजी प्रसारण-कक्षमें (स्टुडियोमें) छात्राओंके एक समूहको प्रशिक्षण देने वाली मरवाईने कहा, ‘‘पांच वर्ष पूर्व (योग सिखाना) असम्भव था । ऐसे देशमें जहां लम्बे समय तक महिलाओंके अधिकारोंपर विभिन्न प्रकारका प्रतिबन्ध लगा हुआ था, वहां छात्राओंका कहना है कि अभ्याससे उनके जीवनमें परिवर्तन आया है !
“मरवाईके इस साहसिक कृत्यके लिए हम उनका अभिनन्दन करते हैं । वस्तुत: सनातन धर्म व उसकी विभिन्न पद्धतियां ही मानवको शान्त, स्थिर करती हैं, जो विश्वमें अन्य किसी पन्थमें नहीं है ! इसीसे सनातन धर्मकी महानताका बोध होता है, परन्तु विडम्बना है कि जिन मैकॉले शिक्षित हिन्दुओंको यह विरासतमें मिला, वे इसे छोड नर्क तुल्य जीवन जी रहे हैं !” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : जी न्यूज
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