उदारस्य तॄणं वित्तं शूरस्य मरणं तॄणं |
विरक्तस्य तॄणं भार्या निस्पॄहस्य तॄणं जगत् ||
अर्थ : उदार हृदयवालेके लिए धन तृण(घास)के समान महत्त्वहीन है | शूरवीरके लिए मृत्युका कोई मोल नहीं | विरक्तके लिए पत्नी-कुटुंब इत्यादि महत्वहीन है और निस्पृह व्यक्ति (जो अनासक्त है ) और जिसके मनमें भोगके विचार नहीं उसके लिए यह संसार महत्त्वहीन है |
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