श्रीलंकामें सार्वजनिक स्थलोंपर ‘बुर्का-नकाब’ पहनना प्रतिबन्धित, राष्ट्रीय सुरक्षाके लिए बताया सङ्कट


२८ अप्रैल, २०२१
      श्रीलंकाके मन्त्रिमण्डलने सार्वजनिक स्थलोंपर सभी प्रकारके ‘नकाबों’को मुखपर धारण करनेको, राष्ट्रीय सुरक्षाकी दृष्टिसे सङ्कट घोषित करते हुए इसपर प्रतिबन्ध लगानेके प्रस्तावको मंगलवार, २७ अप्रैलको स्वीकृति दे दी । यद्यपि, ‘कोविड-१९’से निपटनेके लिए मुखावरण पहननेकी अनुमति है । यह निर्णय दो वर्ष पूर्व ही लिया गया था, जब ‘ईस्टर’में रविवारके दिवस ‘नेशनल तौहीद जमात’ने गिरिजाघर और भोजनालयोंपर एकके पश्चात एक अनेक आतड्की आक्रमण किए थे, जिसमें २५० से अधिक लोग मृत और ५०० से अधिक लोग चोटिल हुए थे । मन्त्रिमण्डलने ‘नकाब’पर प्रतिबन्ध हेतु प्रपत्रमें (फाइलमें) हस्ताक्षर कर दिए हैं । इस प्रस्तावको अब विधान (कानून) बनाने हेतु इसे संसदसे अनुमोदित कराना होगा ।
      उल्लेखनीय है कि उक्त बम विस्फोटके आरोपमें श्रीलंकामें कुछ दिवस पूर्व ही एक विख्यात मुसलमान मन्त्री सहित अनेक मौलानाओंके सीधे हाथ पाए गए थे, जिन्हें त्वरित ही बन्दी बना लिया गया ।
      श्रीलंका शासनद्वारा इस्लामिक आतङ्कवादके अन्त हेतु नियमित पग उठाए जा रहे हैं, जो प्रशंसनीय हैं । सभी राष्ट्रोंको इससे सीख लेनी चाहिए कि वे इस्लामका पोषण न करें; अन्यथा उन्हें भी भोगना ही होगा । भारत शासनको भी इस्लामिक आतङ्कवादके समूल विनाश हेतु सक्रिय होना चाहिए और इसी प्रकारके कठोर निर्णय लेने चाहिए, यही कालकी मांग है । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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