जनवरी ७, २०१९
पोप फ्रांसिस इस समय अपने एतिहासिक सऊदी अरबके भ्रमणपर हैं । अपने इस भ्रमणपर उनके और अल-अजहर मस्जिदके शाही इमाम शेख अहमद अल-तैयबके मध्य एक एतिहासिक घोषणा पत्रपर हस्ताक्षर हुए हैं । इस घोषणा पत्रमें दोनोंने विश्वके कई देशों, धर्मों और जातियोंसे शान्ति और सौहार्दकी विनती की है । कैथोलिक गिरिजाघरके प्रमुख पोप फ्रांसिसकी अरब कॉन्टीनेंटकी यह प्रथम यात्रा है । इस्लामका आरम्भ अरब प्रायद्वीपसे ही हुआ था ।
जिस समय घोषणा पत्र हस्ताक्षर हो रहा था उस समय ईसाई, इस्लाम, यहूदी और दूसरे धर्मोंको माननेवाले लोग उपस्थित थे । शेख अहमद सुन्नी इस्लामके एक प्रतिष्ठित पदपर हैं । दोनों धार्मिक नेता हाथोंमें हाथ डाले जब जनताके मध्य आए तो लोगोंने उनका स्वागत किया । पोप अबु धाबीमें रहनेवाले १,३५,००० कैथोलिक निवासियोंके लिए अभीतककी सबसे बडी सभाको सम्बोधित करनेवाले हैं । अबू धाबीके काहिरामें, सुन्नी इस्लामके प्रतिष्ठित मदरसे अल-अजहरके इमाम शेख अहमद अल-तैयबने पोपके साथ वार्ता की । दोनों धार्मिक नेताओंने ‘विश्व शांति और एक साथ रहनेके लिए मानवीय भाईचारे’को बढावा देनेके लिए एक घोषणा पत्रपर हस्ताक्षर किए । वेटिकनने इसे ‘ईसाइयों और मुसलमानों’के मध्य वार्ताकी दिशामें एक महत्वपूर्ण पग बताया है । उन्होंने ‘आस्थाकी स्वतन्त्रता’, ‘सहिष्णुताकी संस्कृतिका प्रचार’, ‘पूजा स्थलोंके संरक्षण’ और अल्पसंख्यकोंके लिए ‘पूर्ण नागरिक’ अधिकार देनेकी भी विनती की ।
“हास्यास्पद है कि समूचे विश्वमें अशान्तिका प्रसार करनेवाले शान्ति वार्ता कर रहे हैं, तो क्या अब यह मानना चाहिए कि भारतमें वेटिकनसे धर्मान्तरणके लिए कोई धन नहीं आएगा ? क्या किसी मौलवीको इस्लामिक विष प्रसारित करनेके लिए अरबसे धन नहीं मिलेगा ? तथाकथित पन्थोंके अध्यक्ष कृपया बताएं !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : वन इण्डिया
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