वैदिक उपासना पीठके उद्देश्य :-
१. वैदिक सनातन धर्मके सिद्धान्त अनुसार मार्गदर्शन कर जिज्ञासु एवं साधकोंको साधनाकी ओर प्रवृत्त कर, आध्यात्मिक प्रगति करवाते हुए ईश्वर-प्राप्तिकी (मोक्षकी) ओर अग्रसर करना ।
२. वैदिक सनातन धर्म और अध्यात्मसे सम्बन्धित, परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेके दर्शन, सीख एवं आध्यात्मिक अनुसन्धानोंका प्रचार-प्रसार करना ।
३. वैदिक सनातन धर्म और संस्कृतिमें निहित आध्यात्मशास्त्रके विषयमें जागृति निर्माण कर धर्मशिक्षण देना एवं सर्वसमान्य हिन्दूको धर्माचरण हेतु प्रवृत्त करना ।
४. सम्पूर्ण मानव जातिको हो रहे सूक्ष्म जगतके अनिष्ट शक्तियोंके कष्टके विषयमें जागृति निर्माण कर, उन्हें सूक्ष्म जगतकी शिक्षा देते हुए अनिष्ट शक्तियोंके कष्टसे रक्षण हेतु आध्यात्मिक उपाय बता उन्हें आत्मनिर्भर बनाना ।
५. वैदिक संस्कृतिके मूल आधार ‘गुरु-शिष्य’ परम्पराकी पद्धतिके महत्त्वको जनमानसके मनपर पुनः अंकित कर, इसे भारतीय संस्कृतिका अविभाज्य अंग बनाना ।
६. वर्णाश्रम व्यवस्थाको पुनर्स्थापित करना ।
७. धर्मशिक्षणके माध्यमसे हिन्दुओंमें धर्मप्रेम एवं धर्माभिमान निर्माण कर, हिन्दुओंका अन्य धर्मोंमें धर्मपरिवर्तन रोकना ।
८. भारतवर्षको एक सबल धर्म-सापेक्ष हिन्दू राष्ट्र बनाने हेतु समान विचारधाराओंवाली संस्थाओंसे जुडकर कार्य करना ।
९. वैदिक शास्त्रोंकी (धर्मग्रन्थोंकी) मूल भाषा, संस्कृतमें पठन-पाठनको प्रोत्साहित कर, भिन्न स्थानोंपर गुरुकुलकी स्थापना करना,जिससे प्राचीन वैदिक धर्म, धर्मग्रन्थोंका रक्षण और प्रचार-प्रसार हो सके ।
१०. हिन्दुओंको जन्म हिन्दूके स्थानपर कर्म हिन्दू (कृतिशील हिन्दू) बननेके लिए प्रेरित करना ।
११. वैदिक सनातन धर्मके विभिन्न सम्प्रदायोंके मध्य सामन्जस्य स्थापित करना ।
१२. संस्कृतनिष्ठ हिन्दी भाषाकी गरिमा पुनर्स्थापित करना ।
१३. विद्यार्थियोंमें नैतिक मूल्य और वैदिक संस्कार निर्माण करना ।
१४. हिन्दुओंके देवताओंका होनेवाला अपमान रोकना ।
१५. हिन्दुओंका प्रभावी रूपसे संगठन करना तथा उन्हें राष्ट्र एवं धर्मके कार्यके लिए प्रेरित करना ।
१६. प्राकृतिक सन्साधनों और पर्यावरणका संरक्षण करना ।
१७. विश्वकी समस्याओंपर विश्लेषण कर, वैदिक धर्मशास्त्र अनुसार उपाय बता उनका निराकरण हेतु प्रयास करना ।
१८. सामाजिक एवं आर्थिक रूपसे पिछडे हिन्दू, विशेषकर ग्रामीण हिन्दुओंकी भिन्न स्तरोंपर सामाजिक, चिकित्सकीय, शैक्षणिक एवं वित्तीय सहायता कर, उन्हें मुख्य धारासे जोडनेमें सहायता करना ।