स्त्रियों ! अन्नपूर्णा कक्ष आपके व्यक्तित्वका दर्पण होता है, इस तथ्यका ध्यान रख वहां देवत्व निर्माण करें ! स्त्री साधिकाओंद्वारा रसोईघरकी सेवाके मध्य उनके दोष किस प्रकार परिलक्षित होते हैं एवं उन्होंने अपने दोषोंका निर्मूलन क्यों करना चाहिए, यह लेख इसी सम्बन्धमें है । * वैदिक उपासना पीठके आश्रममें देश-विदेशसे हिन्दू स्त्रियां सेवा हेतु आती […]
वास्तुमें दिशाओंका सर्वाधिक महत्त्व होता है; इसीलिए भवन निर्माण करते समय या भूखण्ड क्रय करते समय दिशाओंका विशेष ध्यान रखा जाता है । आप ऐसा समझ सकते हैं कि वास्तुके अनुसार दिशाओंका भी भवन निर्माणमें उतना ही महत्त्व है, जितना पांच तत्त्वोंका है । दिशाएं कौन-कौनसी हैं और उनके स्वामी कौन-कौनसे हैं और वे किस […]
स्त्रियो ! आपको जैसी बहू चाहिए, अपनी पुत्रीमें वैसे ही गुण डालें ! ध्यान रहे, आपकी पुत्री ही कहींकी बहू बनती है ।
१. भैंस अपने बच्चेसे पीठ फेरकर बैठती है, चाहे उसके बच्चेको कुत्ते खा जाएं, वह नहीं बचाएगी, जबकि गायके बच्चेके निकट अपरिचित व्यक्ति तो क्या ? सिंह भी आ जाए, वो प्राण दे देगी; परन्तु जीते-जी बच्चेपर आंच नहीं आने देगी । इसीलिए उसके दूधमें स्नेहका गुण प्रचुर मात्रामें होता है । २. भैंसके दो […]
आजकल दूरदर्शनकी भिन्न प्रसार वाहिनियोंपर नृत्यके कुछ प्रतिस्पर्धात्मक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं; उसमें आधुनिकीकरण एवं ‘फ्यूजन’के नामपर भारतीय नृत्य शैलियोंका भी लोप हो रहा है । अधिकांश किए गए नृत्य तमोगुणी ही होते हैं । नृत्य भी एक उपासनाका अर्थात ईश्वर प्राप्तिका माध्यम है; किन्तु योग्य साधना न करनेके कारण नृत्यके वास्तविक स्वरूपका भी […]
कुछ दिवस पूर्व एक युवा संस्कार वर्गका आयोजन किया गया था, वहांपर भोजन करते समय कुछ बच्चोंको आश्रममें भी चम्मचसे प्रसाद (दोपहरका भोजन) करते देख, मैंने उन सबको हाथसे प्रसाद ग्रहण करनेके लिए कहा; क्योंकि आश्रमका भोजन तो स्वर्ग लोकमें भी नहीं मिलता, तो एक बालिकाने, जिसकी मां भी वहीं बैठी भोजन कर रही थीं, […]
जब सीता माताके आभूषणका अभिज्ञान करनेका निर्देश भगवान श्रीरामने लक्ष्मणजीको दिया तो लक्ष्मणजीने अपनी जितेन्द्रियन्ताका परिचय देते हुए कहा कि मैं मात्र उनके नूपुरका अभिज्ञान ही कर सकता हूं; क्योंकि मेरी दृष्टि मात्र उनके चरणोंपर रहती थी । ऐसी है हमारी दैवी संस्कृति, जिसे पाश्चात्यों और धर्मान्धोंने सांस्कृतिक आक्रमणकर, इस देशसे नष्टप्राय कर दिया है […]
हिन्दी भाषाको संस्कृतनिष्ठ बनाने हेतु तमोगुणी उर्दू व अंग्रेजी भाषाका उपयोग करना टालें ! संस्कृतनिष्ठ हिन्दी भाषाको, हिन्दू राष्ट्रकी स्थापनाके पश्चात, सर्वत्र प्रयोगमें लाया जाएगा; अतः संस्कृतनिष्ठ हिन्दी सीखें ! आपको पुनः स्मरण कराने हेतु इसके महत्त्वपूर्ण तथ्योंका पुनः प्रकाशन किया जा रहा है । वर्तमान कालमें प्रायः हम हिन्दी बोलते अथवा लिखते समय सहज […]
हे प्रभु, आपकी कृपाके कारण ही मुझे आपका यह महाप्रसादरूपी आहार मिला है, इस हेतु हम आपके कृतज्ञ हैं । इस महाप्रसादसे मेरी देहका पोषण हो एवं इसे ग्रहण करते समय मैं नामजप करते हुए कृतज्ञताके भावसे इसे ग्रहण कर सकूं, ऐसा मुझसे प्रयास होने दें ! इस महाप्रसादके चैतन्यसे मुझमें भक्ति, भाव, शरणागति एवं […]
जैविक खेतीके उद्देश्य १. मृदा (मिट्टी) संरक्षणके उपायसे उसके स्वास्थ्यको बनाए रखना २. पर्याप्त मात्रामें उच्च गुणवत्तावाला खाद्यान्न उत्पन्न करना ३. मिट्टीकी दीर्घकालीन उर्वरताको बनाए रखना एवं उसे बढाना ४. जैविक उर्वरकोंके उपयोगसे खेतीमें सूक्ष्म जीव, मृदा पादप और अन्य जीवोंके जैविक चक्रको प्रोत्साहित करना तथा बढाना ५. रसायनिक उर्वरकों और रसायनिक औषधियोंके उपयोगको रोकना […]