धार्मिक कृतियां

वैजयन्ती माला


बैजन्ती (संस्कृत : वैजयन्ती) एक पुष्पका नाम है, जिससे ‘वैजयन्ती माला’ बनती है । यह माला, श्रीकृष्ण एवं श्रीविष्णुको सुशोभित करती है । ‘वैजयन्ती माला’का शाब्दिक अर्थ है – ‘विजय दिलाती हुई माला’ अथवा ‘विजय   दिलानेवाली माला’ । शास्त्रोंमें इस मालाकी बडी महिमा है । ये श्रीकृष्ण भक्ति प्रदान करनेवाली मानी गई है । इस […]

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नव वर्षारम्भ या संवत्सरारम्भ या गुडी पडवा


चैत्र मासकी शुक्ल प्रतिपदाको गुडी पडवा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है । इस दिन हिन्दू नववर्षका आरम्भ होता है । ‘गुडी’का अर्थ ‘विजय पताका’ होता है । ‘युग‘ और ‘आदि‘ शब्दोंकी सन्धिसे बना है ‘युगादि‘ । आन्ध्र प्रदेश और कर्नाटकमें ‘उगादि‘ और महाराष्ट्रमें यह पर्व गुडी पडवाके रूपमें मनाया जाता है […]

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अंग्रेजी नववर्ष क्यों नहीं मनाना चाहिए ?


नववर्ष प्रारम्भ जैसा कि नामसे ही सिद्ध होता है उसका अर्थ है नूतन वर्षका शुभारम्भ; किन्तु प्रतिवर्ष १ जनवरीको पाश्चात्य संस्कृतिसे प्रभावित लोगोंद्वारा मनाया जानेवाला तथाकथित नववर्ष इसके विपरीत प्रतीत होता है; क्योंकि इसमें नूतन कुछ नहीं होता । आध्यात्मिकताविहीन तथा केवल भौतिकताके विकृत प्रदर्शनका प्रतीक बन चुके, इस दिवसको उत्सवके रूपमें मनाना पूर्णतः अनुचित […]

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देवतापूजनकी तैयारी करनेसे जीवके देहकी सात्त्विकता बढने लगती है |


देवतापूजनकी तैयारी करनेसे जीवके देहकी सात्त्विकता बढने लगती है और जीवके देहकी शुद्धि होती है । वास्तुशुद्धि होकर वायुमंडल प्रसन्न होता है । ब्राह्मणोंद्वारा पूजाविधिमें विधिवत किया जानेवाला संकल्प पूजास्थलपर देवताओंके आगमन तथा यजमानोंको आशीर्वाद प्रदान कराता है। – पू. तनुजा ठाकुर

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हिन्दुओंने तिलक क्यों धारण करना चाहिए ?


हमारे दोनों भौहोंके मध्यमें आज्ञा चक्र होता है, इस चक्रमें सूक्ष्म द्वार होता है जिससे इष्ट और अनिष्ट दोनों ही शक्तियां प्रवेश कर सकती हैं, यदि इस सूक्ष्म प्रवेश द्वारको हम एक विशेष रूपमें सात्त्विक पदार्थका लेप दें तो इससे ब्रह्माण्ड में व्याप्त इष्टकारी शक्तियां हमारे पिण्डमें आकृष्ट होती हैं जिससे हमारा अनिष्ट शक्तियोंसे रक्षण […]

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भोजन सम्बन्धित आचारधर्मका पालन करने सम्बन्धित कुछ सरल तथ्य


भोजन करनेसे पूर्व हाथ-पैर धोकर कुल्ला करना चाहिए, उसी प्रकार भोजन करनेके पश्चात, हाथ धोकर ग्यारह बार कुल्ला करनेसे दान्तमें फंसे भोजनके कण बाहर आ जाते हैं…

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शुभकामनाएं मध्य रात्रिमें क्यों नहीं दें ?


संध्या कालके आरम्भ होते ही रज तमका प्रभाव वातावरणमें बढने लगता है; अतः इस कालमें आरती, संध्या इत्यादि करते हैं और इस कालमें किए गए धर्माचरण, हमें उस रज-तमके आवरणसे बचाता है; परन्तु आजकल पाश्चात्य संस्कृतिके अंधा अनुकरण करनेके चक्रव्यूहमें फंसे हिन्दू इन बातोंका महत्त्व नहीं समझते हैं | मूलतः हमारी भारतीय संस्कृतिमें कोई भी […]

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जब बबूल बोएंगे तो भविष्यमें उस वृक्षसे आम कहांसे पाएंगे ???


भारतमें और विदेशमें जहां भी बच्चों एवं युवाओंके लिए संस्कार शिविर लिए वहां मैंने पाया कि उपस्थित शिविरार्थियोंमें से किसीको भी अपने ‘वेद कितने हैं और उनके नाम क्या हैं ?’, यह तक पता नहीं ! ’भगवान श्रीरामका जन्मस्थान कौन सा है ?’, यह भी पता नहीं ! ऐसे जन्म हिन्दू थोडे समय पश्चात् यदि कोई […]

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हिंदुओं !! अपनी संस्कृति पर गर्व करें


दक्षिण अफ्रीकाकी गुफामें ६००० वर्ष पूर्वका शिवलिंग प्राप्त हुआ है ! हिंदुओं ! विश्वेकी सबसे प्राचीन हिंदु संस्कृतिमें अपना जन्म हुआ है इसपर गर्व करें !

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उपवास


उपवासकी व्युत्पत्ति उप + वाससे हुई है ! उपका अर्थ है निकट और वासका अर्थ है रहना अर्थात शरीरको जितना आवश्यक हो उतना और सात्त्विक भोजन देकर उसकी शुद्धि करते हुए अपने इन्द्रियोंका निग्रह करते हुए ईश्वरको अपेक्षित कृत्य करना | मात्र, आज व्रतके समय ईश्वरका वास अल्प प्रमाणमें  रहता है और उपवासमें कौन सा […]

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