हिन्दू धर्मका अध्यात्म सूक्ष्म स्पन्दनशास्त्रपर आधारित है; इसलिए इसे बुद्धिसे नहीं समझा जा सकता है । इसे समझने किसी गुरुके मार्गदर्शन अनुसार साधना ही करनी होगी, तभी इसे समझा जा सकता है ।
आजकल तैलरंग (ऑइल पेण्ट) विक्रय करनेवाले अनेक व्यापारिक प्रतिष्ठान नित्य नूतन रंगों एवं पद्धतियोंसे (पैटर्नसे) घरको रंगनेका विज्ञापन देते हैं । सामान्य हिन्दुओंको सत्त्व-रज-तमका ज्ञान न होनेके कारण वे ऐसे विज्ञापनोंकी ओर त्वरित आकृष्ट होते हैं । जैसे कुछ लोग सुगापंखी या काले रंगसे अपनी भीतोंको रंगते हैं तो कुछ चटख लाल या बैंगनी रंग […]
स्त्रियोंको पूजासे सम्बन्धित कार्योंमें कभी भी नारियल नहीं फोडना चाहिए । आपने देखा ही होगा कि अधिकांशतः शुभ कार्यों एवं धार्मिक कार्योंमें नारियलका प्रयोग किया जाता है । बिना नारियलके पूजाको पूर्ण नहीं माना जाता है । नारियलको श्रीफलके नामसे भी जाना जाता है । भगवान विष्णु, जब पृथ्वीपर प्रकट हुए, तब वे स्वर्गसे अपने […]
प्रभु श्रीराम १२ कलाओंके ज्ञाता थे, वहीं भगवान श्रीकृष्ण सभी १६ कलाओंके ज्ञाता थे । चन्द्रमाकी १६ कलाएं होती हैं तथा ब्रह्म अर्थात स्वयं ईश्वर, १६ कलाओंसे युक्त होते हैं; किन्तु भगवान शिव ६४ कलाओंमें पारङ्गत हैं अर्थात उन्हें ६४ कलाओंका पूर्ण ज्ञान है । सामान्यतः एक मनुष्यके पास ५ कलाएंतक होती हैं, यदि उसे […]
घरमें मित्रों व परिजनको बुलाकर मांसाहार कराना, मद्य पिलाना, सिक्थवर्तिका (मोमबत्ती) जलाकर देर रात ऊंचे स्वरमें पाश्चात्य संस्कृतिके गाने लगाकर नृत्य करनेसे, घरसे देवताओंका वास्तव्य समाप्त हो जाता है और उस वास्तुमें अनिष्ट शक्तियां वास करने लगती हैं; अतः आधुनिक शैलीमें भोज (पार्टी) करनेकी अधार्मिक कृतिसे बचें ।
५. अश्वत्थामा महाभारतके अनुसार, पाण्डवोंके गुरु द्रोणाचार्यके पुत्र अश्वत्थामा, काल, क्रोध, यम व भगवान शंकरके अंशावतार थे । आचार्य द्रोणने भगवान शंकरको पुत्र रूपमें पानेके लिए घोर तपस्या की थी; फलस्वरूप भगवान शिवने उन्हें वरदान दिया था कि वे उनके पुत्रके रूपमें अवतीर्ण होंगे । समय आनेपर सवन्तिक रुद्रने अपने अंशसे द्रोणके बलशाली पुत्र, अश्वत्थामाके […]
शिव महापुराणमें भगवान शिवके अनेक अवतारोंका वर्णन मिलता है; किन्तु बहुत ही कम लोग इन अवतारोंके विषयमें जानते हैं । धर्म ग्रन्थोंके अनुसार, भगवान शिवके १९ अवतार हुए थे । आइए, जानें शिवके १९ अवतारोंके विषयमें । १. वीरभद्र अवतार भगवान शिवका यह अवतार तब हुआ था, जब दक्षद्वारा आयोजित यज्ञमें माता सतीने अपनी देहका […]
ॐ ब्रह्माण्डकी वह ऊर्जावान ध्वनि है, जो ब्रह्माण्डके अस्तित्वमें आनेसे पूर्वकी प्राकृतिक ध्वनि थी । ये पृथ्वी एवं उसपर होनेवाले जीव जगत हेतु शक्ति, यश, बल, बुद्धिके लिए प्रेरणा देनेवाला प्रथम स्तम्भ बना । वेद शास्त्रोंके अनुसार, इसके उच्चारण मात्रसे ही आन्तरिक दृढता एवं ऊर्जा प्राप्त होती है । इसका उच्चारण, स्वास्थ्यवर्धक एवं रोगोंको दूर […]
साधको, यदि आप कुछ समय व्यष्टि साधना व सेवा कर रहे हैं और आपके शरीरमें गांठें बन रही हैं या ‘सूजन’ बढ रही है तो समझ लें कि आपके शरीरमें अनिष्ट शक्तिद्वारा निर्मित काली शक्तिकी वृद्धि हो रही है । इस हेतु यह ध्यान दें कि आपकी निद्रा रात्रिमें ग्यारहसे तीनके मध्य अच्छेसे एवं नियमित […]
सातसे न्यून अथवा अधिक क्यों नहीं ? यह प्रश्न अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है कि सूर्यदेवद्वारा सात ही घोडोंकी ‘सवारी’ क्यों की जाती है ? यह सङ्ख्या सातसे न्यून अथवा अधिक क्यों नहीं है ? यदि हम अन्य देवोंकी ‘सवारी’ देखें, तो सूर्यदेवके सात घोडे क्यों ? क्या है इन सात घोडोंका इतिहास तथा ऐसा क्या विशेष […]