वर्तमान कालमें एक अनुचित प्रचलन आरम्भ हुआ है और वह है विवाहके उपरान्त नवविवाहित जोडेका कहीं भ्रमण हेतु जाना जिसे आजकल ‘हनीमून’ कहते हैं । पूर्वकालमें विवाहित जोडा अपने कुलदेवी या इष्टदेवताके देवालय जाता करते थे और यदि वह उनके मूल स्थानसे दूर हो तो वे किसी सगे-सम्बन्धीके घर रुकते थे, वहीं आज प्रेतबाधित विश्रामालयमें […]
यदि पालतू पशु कुत्ता हो और वह आक्रामक होता हो तो उसे अपने कक्षमें कभी न सुलाएं एवं नियमित वास्तुशुद्धि करें ! साथ ही पूर्णिमा और अमावस्याको उसे बांधकर रखें ! इस समय जिस भी पशुको आध्यत्मिक कष्ट होता है, वह …..
उपासनाका कोई भी नूतन उपक्रम आरम्भ हो और हमारी ‘प्रिय’ अनिष्ट शक्तियां हमें या हमारे सहयोगियोंको कष्ट न दें, यह कैसे हो सकता है ! १२ मार्चको जैसे ही ऑनलाइन संस्कृत वर्गकी घोषणा की, उन्हें मिर्ची लग गई ! १३ मार्चको तो प्रातःकालसे ही कष्ट होने लगा ! उठ ही नहीं पा रही थी ! […]
व्यष्टि स्तर अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट मूलत: योग्य प्रकारसे साधना व धर्मपालन न करने कारण होता है, यह कष्ट सात्त्विक, राजसिक एवं तामसिक किसी भी व्यक्तिको हो सकता है; वहीं समष्टि स्तरका कष्ट समाजको धर्म और साधना सिखानेके कारण होता है ! यह मूलत: सात्त्विक व्यक्तिको या सन्तोंको होता है और यह सहन करते हुए उसपर […]
अगले दिवस सल्जबर्गके मन्दिरमें प्रवचन था । मैंने वहांके कार्यक्रम हेतु अपना कैमरा ‘चार्ज’ करने हेतु लगाया; किन्तु कुछ ही मिनिटके पश्चात कैमरेसे कुछ भिन्न प्रकारके स्वर आने लगे, जोकि कभी नहीं आए थे …….
जिसप्रकार किसी औरके वस्त्र पहननेसे, हाथ मिलानेसे (हैण्ड शेक करनेसे) या किसीका जूठन खानेसे हमें अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट हो सकता है, वैसे ही किसीका ब्रुश (दांत मांजनेवाला) जिभिया(जीव स्वच्छ करनेवाला) तौलिया, कंघा……..
मैकाले शिक्षित कुछ हिन्दू प्रतिदिन हनुमान चालीसा रटते हैं; मार्कण्डेय ऋषि रचित दुर्गा सप्तशतीके कुछ अंशोंका पाठ करते हैं; किन्तु यदि किसी लेखमें असुरों, भूत-प्रेतोंसे (अनिष्ट शक्तियोंसे) रक्षण हेतु धर्मशिक्षण अन्तर्गत कुछ तथ्य बताया जाए तो शुतुरमुर्ग समान अपनी सब इन्द्रियोंको बंद कर लेते हैं….
एक पाठकने वर्ष २०१२ में ‘फेसबुक’पर मेरे किसी लेखपर प्रतिक्रया देते हुए लिखा, “भूत-प्रेत नहीं होते हैं, आपलोगोंको ऐसी बातें बताकर कर दिशाहीन कर रही हैं और समाजमें अन्धविश्वास फैला रही हैं ।” मैं ऐसे लोगोंसे कुतर्क नहीं करती, सीधे उन्हें प्रतिबन्धित (ब्लॉक) कर देती हूं; क्योंकि महाविनाशका काल आनेवाला है; अतः जो सुनना और सीखना […]
धर्मप्रसारके मध्य सम्पूर्ण भारतमें चार चक्रिका (पहिया) वाहनद्वारा यात्रा करते समय अनेक बार मार्गपर मैंने ‘दुर्घटना आशंकित (एक्सीडेण्ट प्रोन) क्षेत्र, कृपया धीरे चलें’, ऐसा लिखा हुआ पाया है । जिज्ञासावश जब मैं स्थानीय वाहन चालकोंसे पूछती हूं कि क्या ऐसा लिखनेसे यहां दुर्घटना नहीं होती हैं ? तो वे कहते हैं, “नहीं, ऐसा लिखनेपर भी […]
ईश्वरने सृष्टिकी रचनाके साथ ही दो शक्तियों, दैवी और आसुरी शक्तियोंका निर्माण किया, जिनमें पहली है, इष्टकारी शक्ति या कल्याणकारी शक्ति और दूसरी है, अनिष्टकारी शक्ति अर्थात विनाशकारी शक्ति । जब किसी दुर्जनकी मृत्यु हो जाए और उसका क्रिया-कर्म वैदिक रीतिसे न हुआ हो, या उसके कर्मानुसार उसे गति न मिले, तो वे अनिष्ट शक्तियोंके […]