अनिष्ट शक्तियोंका कष्टके दो प्रकार होते हैं – एक व्यष्टि स्तरके कष्ट और दूसरे समष्टि स्तरके कष्ट !
व्यष्टि स्तर अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट मूलत: योग्य प्रकारसे साधना व धर्मपालन न करने कारण होता है, यह कष्ट सात्त्विक, राजसिक एवं तामसिक किसी भी व्यक्तिको हो सकता है; वहीं समष्टि स्तरका कष्ट समाजको धर्म और साधना सिखानेके कारण होता है ! यह मूलत: सात्त्विक व्यक्तिको या सन्तोंको होता है और यह सहन करते हुए उसपर उपाय करना यह उनकी साधनाका ही भाग होता है !
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