श्रीगुरुने कहा है कि मुझे मेरा चरित्र लिखना है । मेरे माता-पिताकी सीखके बिना यह चरित्र अपूर्ण होगा; इसलिए मैंने, सर्वप्रथम अपने पिताजीसे क्या सीखा है ? उन्होंने कैसे मेरे व्यक्तित्वको संवारनेमें एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है ? इस लेखमालामें मैं यह बतानेका प्रयास करुंगी । मेरे पिता मेरे प्रथम आध्यात्मिक मार्गदर्शक बाल्यकालसे ही मेरी […]
संवत १६३१ का प्रारम्भ हुआ, दैवयोगसे उस वर्ष रामनवमीके दिन वैसा ही योग आया जैसा त्रेतायुगमें राम-जन्मके दिन था । उस दिन प्रातःकाल तुलसीदासजीने श्रीरामचरितमानसकी रचना……
भारतके उत्तर प्रदेशके देवरिया जनपदको एक योगी, सिद्ध महापुरुष एवं सन्तने अपने नामसे ख्याति दिलाई । वे अपने चमत्कारसे सहस्रों लोगोंको तृप्त करते रहे । सहज, सरल और सुलभ बाबाके सान्निध्यमें जैसे वृक्ष, वनस्पति भी स्वयंको आश्वस्त अनुभव करते रहे । कुछ ऐसे ही थे चमत्कारिक, अलौकिक रहस्यमयी ‘देवरहा बाबा’ । प. पू. देवरहा बाबाकी […]
गुरु अंगद देव सिक्ख धर्मके दूसरे गुरु हैं । विक्रमसंवत् अनुसार वैशाख कृष्णपंचमीके दिवस, गुरु अंगददेवजीकी पुण्यतिथि है जो ख्रिस्ताब्द २०१७ में १६ अप्रैलको है । इसी उपलक्ष्यमें हम उनके जीवन चरित्रका सूक्ष्म अवलोकन करेंगे । गुरु अंगददेवजीको पंजाबी भाषा, गुरुमुखीका जनक माना जाता है । अंगददेवजीने गुरु नानकके लेखनको संग्रहित करनेके साथ-साथ उनका प्रचार […]