गुरु संस्मरण

मेरे करुणाकर सर्वज्ञ श्रीगुरु


मेरा शरीर, पिछले तीस वर्षके सूक्ष्म जगतकी अनिष्ट शक्तियोंके समष्टि आक्रमणसे इतना दुर्बल हो गया है कि अब मुझे न अधिक ‘गर्मी’ सहन होती है और न ही अधिक ठण्डी । मैं कभी-कभी सोचती थी कि जैसे-जैसे आयु बढेगी तो कष्ट भी बढेगा, पता नहीं उत्तर भारतकी ‘सर्दी’मैं कैसे सहन कर पाउंगी ? पिछले सात […]

आगे पढें

गुरु संस्मरण – मेरे द्रष्टापनयुक्त सद्गुरु


ख्रिस्ताब्द २००० से ही जहां भी मैं प्रसार करती थी वहां परम पूज्य गुरुदेव डॉ. आठवले जिनकी छत्रछायामें मैं साधना करती थी, वे मेरे लिए संगणक या तो भेज दिया करते थे या उसकी व्यवस्था केन्द्रमें हो जाया करती थी ……

आगे पढें

क्यों हैं हमारे श्रीगुरु ‘श्रीकृष्ण स्वरुप’ ? (भाग- ६)


जैसे श्रीकृष्णके कालमें कंस अपने आतंकसे बृजवासियोंको व्यथित करता था, उनसे मनमाना कर लेता था और श्रीकृष्णके कहनेपर वहांके लोगोंने कंसके विरुद्ध अपने संग्रामका बिगुल फूंका और अन्तत: श्रीकृष्णने कंसका संहार किया । वैसे ही इस निधर्मी लोकतन्त्रमें हमारे श्रीगुरु……

आगे पढें

क्यों हैं हमारे श्रीगुरु ‘श्रीकृष्ण स्वरुप’ ? (भाग- ५)


‘योगी’ भी भगवान श्रीकृष्णका एक है नाम। योगका अर्थ है ईश्वरसे अनुसन्धान और जो सतत उस अनुसन्धानमें रहे, वह योगी कहलानेका खरा अधिकारी होता है । श्रीगुरुके पूर्ण योगी होनेमें उनके किसी भी साधकको संशय नहीं है….

आगे पढें

क्यों हैं हमारे श्रीगुरु ‘श्रीकृष्ण स्वरुप’ ? (भाग- ४)


भगवान श्रीकृष्णका एक नाम है जगन्नाथ या जगदीश । जगन्नाथका अर्थ है जगतके नाथ एवं जगदीशका भी यही अर्थ होता है ।आज विश्वके अनेक साधकोंको उनका आधार प्रतीत होता है इसीलिए वे जगन्नाथ है…..

आगे पढें

भगवान श्रीकृष्णका एक नाम है सनातन (भाग- ३)


जो शाश्वत है, चिरस्थायी है, वह सनातन है ।हमारे श्रीगुरुद्वारा प्रतिपादित अध्यात्मके कुछ सिद्धान्त, जो सनातन धर्म आधारित हैं वे सृष्टिके अन्ततक, धर्म और अध्यात्मके मूलभूत सिद्धान्तोंके…..

आगे पढें

गुरुकृपासे कुछ भी सम्भव है !


कुछ समय पश्चात ऐसा लगा जैसे श्रीगुरुने मेरा अश्रुपूर्ण निवेदन स्वीकार कर लिया और जब मैंने पुनः उस दैनिकको देखा तो मैं उसे अच्छेसे समझ सकती थी । उसके पश्चात मुझे अकस्मात मराठीके ग्रन्थ समझमें आने लगे…..

आगे पढें

गुरुकी संकल्पशक्तिका महत्त्व


श्री. प्रमोद कुमारने ‘यूट्यूब’में हमारे एक ‘वीडियो’पर टिप्पणी लिखी है, “मैं आपके हिन्दीके ज्ञानसे अभिभूत हूं ।” उन्हें विनम्रतासे ये तथ्य बताना चाहेंगें । मेरी शिक्षा अंग्रेजी माध्यममें हुई और हमारे पाठ्यक्रममें मात्र एक विषय हिन्दी साहित्यका होता था । घरमें हम अंगिका (मैथिली भाषाका अपभ्रंश) बोलते थे; यह अवश्य था कि हमारे पिताजीने हमपर […]

आगे पढें

सन्तोंका सामर्थ्य


कल मैं कुछ साधकोंके साथ, हमारे श्रीगुरुके गुरु परम पूज्य भक्तराज महाराजके मोरटक्का, जो इन्दौरसे ८० किलोमीटर दूरीपर है, स्थित आश्रममें गई थी । वहां दर्शन एवं अल्पाहारके पश्चात आश्रमका उत्तरदायित्व सम्भालनेवाले एक साधकने हमें बद्रीनाथमें ६० वर्ष तपस्या कर, वहीं नर्मदा तटपर एक आश्रममें रहनेवाले एक सिद्ध तपस्वीके दर्शन कराने ले गए थे । […]

आगे पढें

क्यों हैं हमारे श्रीगुरु ‘श्रीकृष्ण स्वरूप’ ? (भाग –२)


भगवान श्रीकृष्णके १०८ नामोंमेंसे एक नाम जगद्गुरु अर्थात ब्रह्मांडके गुरु है। हमारे श्रीगुरु जगद्गुरु कैसे हैं इसे शब्दोंमें बताना अत्यन्त कठिन है किन्तु कुछ उनके कुछ गुण जो उन्हें जगद्गुरु पदपर स्वतः ही आसीन करता है वे इसप्रकार हैं….

आगे पढें

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution