मेरा शरीर, पिछले तीस वर्षके सूक्ष्म जगतकी अनिष्ट शक्तियोंके समष्टि आक्रमणसे इतना दुर्बल हो गया है कि अब मुझे न अधिक ‘गर्मी’ सहन होती है और न ही अधिक ठण्डी । मैं कभी-कभी सोचती थी कि जैसे-जैसे आयु बढेगी तो कष्ट भी बढेगा, पता नहीं उत्तर भारतकी ‘सर्दी’मैं कैसे सहन कर पाउंगी ? पिछले सात वर्षोंसे मुझे शरद ऋतुमें बहुत शारीरिक कष्ट होते हैं । इस वर्ष भी २० दिसम्बर २०२१ से अर्थात कुछ दिनोंसे मुझे अत्यधिक ठण्डके कारण बहुत कष्ट हो रहा है, सर्व प्रकारके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उपाय इस कष्टको दूर करनेमें असमर्थ हैं; किन्तु ईश्वरको मेरे इस कष्टकी जानकारी है; इसलिए ईश्वरस्वरूपी मेरे श्रीगुरुने मुझे गोवा स्थित सनातनके रामनाथी आश्रममें सदैवके लिए रहने हेतु आदेश दिया है । वहां न बहुत अधिक ‘गर्मी’ होती है और न ही बहुत अधिक ‘सर्दी’ ! अर्थात मेरी यह देह, धर्मके कारण ऐसी विकट स्थितिमें आई है, यह मेरे सर्वज्ञ श्रीगुरुसे अधिक और अच्छा कौन जान सकता है और इसका उपाय भी उनसे अधिक कौन अच्छा कर सकता है ? ऐसे सर्वशक्तिमान तत्त्वके प्रति अपनी कृतज्ञता कैसे व्यक्त करूं ? यह समझमें नहीं आता है । (३०.१२.२०२१)
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