देववाणी संस्कृत

संस्कृत भाषाका सौन्दर्य एवं अद्वितीयता


संस्कृत भाषाका सौन्दर्य एवं अद्वितीयता (uniqueness) एक शब्दमें एक शब्द जुडा और जो शब्द बना, वह भी एक ही शब्द है; परन्तु उसका अर्थ परिवर्तित हो गया ! उसी शब्दमें एक शब्द और जोडिए और पुनः कोई नूतन शब्द जोडिए ! इस प्रकार जो शब्द बनेगा, उसका कोई नूतन अर्थ होगा, जो आपको आनन्दित करेगा […]

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देवभाषा संस्कृतका भाषा सौन्दर्य


कांचीपुरमके १७ वीं शताब्दीके कवि वेंकटाध्वरिद्वारा रचित ग्रन्थ ‘राघवयादवीयम्’ एक अद्भुत ग्रन्थ है । इस ग्रन्थको ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है, इसमें केवल ३० श्लोक हैं, इन श्लोकोंको सीधे-सीधे पढते जाएं, तो रामकथा बनती है और विपरीत क्रममें पढनेपर कृष्णकथा । इस प्रकार, हैं तो केवल ३० श्लोक; परन्तु कृष्णकथाके भी ३० श्लोक जोड […]

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संस्कृत भाषाका वैशिष्ट्य


संस्कृत वाक्योंमें शब्दोंको किसी भी क्रममें रखा जा सकता है । इससे अर्थका अनर्थ होनेकी कोई भी आशंका नहीं होती । वहीं यदि आङ्लभाषामें (अंगेजीमें) ऐसा किया जाए…..

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संस्कृत क्यों सीखें ? (भाग – १३)


‘ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय’से संस्कृतमें विद्यावाचस्पति (पी.एच.डी) करनेवाले डॉक्टर वारविक जेस्सप, सेंट जेम्स इण्डिपेंडेंट विद्यालयके संस्कृत विभागके अध्यक्ष हैं । उनकी अथक लगनने संस्कृत भाषाको इस विद्यालयके ८०० विद्यार्थियोंके…..

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क्यों सीखें संस्कृत (भाग – १२)


कई लोग अज्ञानवश इस भाषाको पूजा-पाठ, कर्मकाण्डसे जुडा और अपने लिए अनुपयोगी समझते हैं; किन्तु इसका केवल पांच-सात प्रतिशत साहित्य ही इसप्रकारका है । वस्तुत: इस भाषाके अन्तर्गत सुरक्षित षड्दर्शनोंको जाने बिना हम उस चिन्तन तक नहीं पहुंच सकते, जो भारत देशकी संस्कृतिका मूल आधार एवं हमारे परम कल्याणका साधन है । यह कहना अनुचित […]

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क्यों सीखें संस्कृत ? (भाग – ११)


आधुनिक वैज्ञानिकोंका मानना है कि संस्कृत पढनेसे गणित और विज्ञानकी शिक्षा ग्रहण करनेसे सरलता होती है, क्योंकि इसके पढनेसे मनमें एकाग्रता आती है। वर्णमाला भी वैज्ञानिक है । इसके उच्चारण मात्रसे ही गलेका स्वर स्पष्ट होता है । रचनात्मक और कल्पना शक्तिको बढावा मिलता है ।  स्मरण शक्तिके लिए भी संस्कृत रामबाण  है । आजकल […]

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क्यों सीखें संस्कृत ? (भाग – १०)


संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं, बल्कि संस्कारित भाषा भी है, अतः इसका नाम ‘संस्कृत’ है । केवल संस्कृत ही एकमात्र भाषा है, जिसका नामकरण उसके बोलने वालोंके नामपर नहीं किया गया है । संस्कृतको संस्कारित करनेवाले भी कोई साधारण भाषाविद् नहीं, बल्कि महर्षि पाणिनि, महर्षि कात्यायन  और योगशास्त्रके प्रणेता महर्षि पतञ्जलि  हैं । इन तीनों […]

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क्यों सीखें संस्कृत ? (भाग – ९)


इसके सुस्पष्ट व्याकरण एवं वर्णमालाकी वैज्ञानिकताके कारण इसकी सर्वश्रेष्ठता स्वयं सिद्ध है । नासाका कहना है कि छठी और सातवीं पीढीके ‘सुपर कम्प्यूटर’ संस्कृत भाषापर आधारित होंगे । एक प्रकाशित वृत्तके अनुसार, नासाके वैज्ञानिक रिकब्रिग्सने १९८५  में भारतसे संस्कृतके एक सहस्र प्रकाण्ड विद्वानोंको बुलाया था । उन्हें नासामें चाकरीका (नौकरीका) प्रस्ताव दिया था । उन्होंने […]

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क्यों सीखें संस्कृत ? (भाग – ८)


हिन्दू धर्मके प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ संस्कृतमें हैं । जबतक आप संस्कृत नहीं सीखते हैं, तबतक आप हिन्दू दर्शनकी इस बहुमूल्य धरोहरसे अनभिज्ञ रहेंगे ! भाषान्तरित ग्रन्थोंका वाचन करनेसे उस व्यक्ति विशेषके विचारसे हम प्रभावित हो सकते हैं, जो अयोग्य हो सकते हैं और हो भी वही रहा है । आजकल अधिकांश भाषान्तरित ग्रन्थ पठनके योग्य […]

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क्यों सीखें संस्कृत ? (भाग – ७)


संस्कृत शब्दके अर्थमें ही परिपूर्णता होना संस्कृत शब्द (संस्कृतं) ‘सम्यक कृतं इति संस्कृतं’से बना है । इसका शाब्दिक अर्थ है, संस्कारित, परिपूर्ण ! भाषाकी मूल बिन्दु इतने सुपरिभाषित हैं कि संस्कृतको सर्वदा सुस्पष्ट भाषा घोषित किया गया है । ऐसी सुसंस्कृत एवं परिपूर्ण भाषासे स्वयं एवं अपनी अगली पीढीको दूर रखना क्या अधर्म नहीं है […]

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