एक पाठकने वर्ष २०१२ में ‘फेसबुक’पर मेरे किसी लेखपर प्रतिक्रया देते हुए लिखा, “भूत-प्रेत नहीं होते हैं, आपलोगोंको ऐसी बातें बताकर कर दिशाहीन कर रही हैं और समाजमें अन्धविश्वास फैला रही हैं ।” मैं ऐसे लोगोंसे कुतर्क नहीं करती, सीधे उन्हें प्रतिबन्धित (ब्लॉक) कर देती हूं; क्योंकि महाविनाशका काल आनेवाला है; अतः जो सुनना और सीखना चाहते हैं, उनपर अपना सर्व ध्यान एवं शक्ति केन्द्रित करती हूं । तीन वर्ष पश्चात उसी व्यक्तिका पत्र आया, जिसमें लिखा था, “मुझे क्षमा करें, मेरी चाचीमें भूत प्रकट हो रहा है और उससे सारा घर व्यथित है, आप हमारी सहायता करें !” सोचती हूं ईश्वर भी कभी-कभी बुद्धिवादियोंको पाठ पढाने करने हेतु कैसी-कैसी विचित्र लीला रचते हैं ? (३.४.२०१५)
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