इस बार नवरात्रमें निकटके ग्रामसे कुछ कन्याओंको कन्या पूजन हेतु बुलाया था । जब मैं हवनकर कन्या पूजन हेतु कन्याओंके पास गई तो मुझे देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि मात्र दो कन्याओंने लडकियोंवाली वेशभूषा अर्थात फ्रॉक पहना था, शेष सभी कन्याएं लडकोंवाली वेशभूषामें थीं । ये बच्चियां सभी सात वर्षसेअल्प आयुकी थीं अर्थात ऐसी वेशभूषा […]
किसी विशिष्ट व्रत या त्योहारके समय कुछ पण्डितगण लोभमें आकर बहुतसे घरोंमें पुरोहिताईका नियोजन कर लेते हैं और उसके पश्चात वे सभी घरोंमें पूजन कराते समय, जैसे अपना कोई कार्य निपटा रहे हों, ऐसी प्रवृत्तिसे सब कुछ हडबडीमें करते और कराते हैं । आधा समय तो उनका ध्यान घडीपर रहता है ! ऐसे पण्डितोंसे विनती […]
कुछ दिवस पूर्व मुझे एक लेख अकस्मात मिला, जिसमें लिखा था कि ‘जीन्स’को अधिक दिवसतक अच्छा रखना है तो उसे कमसे कम धोना चाहिए । तीन माहमें एक बार धोएं तो वह और अधिक दिन चलेगा । हमारे हिन्दू धर्ममें प्रत्येक दिवस स्नानके पश्चात धुले हुए वस्त्र पहननेका सात्त्विक विधान है । हमारे यहां निर्धनसे […]
कई बार मेरे कार्यक्रममें कुछ मेरे शुभचिन्तक लोग नेता, अभिनेता, क्रिकेटर जैसे प्रसिद्ध व्यक्तिको मुख्य अतिथिके रूपमें बुलानेका हठ करते हैं; उन्हें लगता इससे कार्यक्रमको प्रसिद्धि सहजतासे मिलेगी; परन्तु मेरा ऐसा मानना है कि आजके नेता, अभिनेता ये सब अधिकांशतः रजोगुणी और तमोगुणी होते हैं, जिनके लिए धन एवं ऐश्वर्य ही उनके देवता होते हैं, […]
कुछ दिवस पूर्व मैं इंदौरके मानपुर आश्रमके निकट एक ग्राममें प्रवचन हेतु गई थी । मैंने देखा कि वहांके भागवत कथाके मध्य भजनमें छोटी बच्चियां नाच रही थीं । उनमें से कुछ बच्चियोंने आजके प्रचलित फटे जीन्स पहन रखे थे । यदि समय रहते हिन्दुओंको धर्मशिक्षण नहीं दिया गया तो जैसे यहांके विवेकशून्य पालक अपने […]
अब सबको समझमें आ रहा है कि ये चित्रपटकी अभिनेत्रियां इतने वीभत्स वस्त्रोंको, मादक पदार्थोंका सेवनकर ही पहना करती थीं; क्योंकि कोई भी सामान्य महिला या युवतीके लिए इतना निर्लज्ज होकर सार्वजनिक स्थानपर जाना सम्भव है ही नहीं । युवा पीढीको दिशाहीन करनेवाले ऐसे व्यभिचारी चित्रपट जगतका ही सर्वनाश होना चाहिए, जिसने इस समाजके उच्च […]
मैंने पाया है कि जिनके बच्चे अपने पालकोंकी बात नहीं मानते हैं, उनके पालकोंमें भी आज्ञापालनके संस्कार नहीं होते हैं । उपासनाके आश्रममें गृहस्थ साधना हेतु आते ही रहते हैं, तो कुछ गृहस्थोंने कहा कि मेरे बच्चे मेरी कोई बात नहीं मानते हैं, अपनी मनमानी करते हैं । इसकारण उन्हें कष्ट होता है और हमें […]
हिन्दुओंकी स्थिति इतनी विदारक कैसे है एवं उनकी वृत्ति ही इसके लिए कैसे उत्तरदायी है आज यह आपको बताना चाहती हूं ! अगस्त १९९९ में मैं झारखण्डके धनबाद जनपदमें धर्मप्रसारकी सेवा अन्तर्गत एक सुप्रसिद्ध मन्दिरके सामने हामरे श्रीगुरुद्वारा संकलित ग्रन्थोंका ‘स्टॉल’ लगाकर धर्मप्रसारकी सेवा किया करती थी । एक दिवस मेरे पास […]
चित्रपट जगतके कलाकारोंके आए दिन आत्महत्याके समाचार आ रहे हैं, जो निश्चित ही चिन्ताजनक हैं । सबसे अधिक दुःखकी बात यह है कि ये लोग आजकी नूतन पीढीके आदर्श बन चुके हैं; किन्तु क्या समस्याओंसे उद्विग्न होकर अपनी इहलीलाको समाप्त कर लेना बुद्धिमानी है ? क्या खरे अर्थोंमें ऐसे लोग समाजके आदर्श बनने चाहिए ? […]
आज जहां उपासनाका आश्रम है, वहां आस-पास ९५% लोग कृषक हैं; किन्तु वे सब जैविक खेतीको त्याग चुके हैं ! अज्ञानतावश वे सभी रासायनिक खेती करते हैं, रासायनिक कीटनाशकका प्रयोग करते हैं एवं उनके घरमें जो गायें हैं, वे भी अधिकतर विदेशी प्रजातिकी हैं ! मात्र सात दशकोंमें, इस देशके शासकोंकी निकृष्ट नीतियोंने कृषकोंको उनकी […]