संगतिका प्रभाव पडता ही है; इसलिए सदैव ही अच्छी संगतमें रहनेका प्रयास करना चाहिए । अच्छी संगति हमें हमारी वृत्ति अनुरूप मिलती है । जैसे मद्यपिको मद्यपि, चोरको चोर और साधुको साधु स्वतः ही मिल जाता है । हमारी वृत्ति हमारे नित्यके आचरणसे बनती है; इसलिए आचरणको सात्त्विक रखना चाहिए एवं यदि कभी अयोग्य संगतिमें […]
हमने ‘दैनिक’ आरम्भ किया है; क्योंकि अब अन्तर्जालकी सहज उपलब्धता अधिक समय नहीं रहेगी । कालानुसार यह सब समाजसे लुप्त हो जाएगा; अतः हमने सोचा कि जितना समय शेष है, उसमें अधिकसे अधिक लोगोंको राष्ट्ररक्षण और धर्मशिक्षण देने हेतु प्रयास करना चाहिए ……
अब तक लोग भ्रष्ट नेताओंपर या धर्मद्रोही कलाकारोंपर मसि (स्याही), पादत्राण (जूते-चप्पल), टमाटर और अण्डे फेंकते थे अब लोगोंने कथावाचकोंकी भी धुनाई आरम्भ कर दी है । वस्तुत: व्यासपीठको कलंकित करनेवाले कथावाचकोंने त्वरित ही अपनी चूकोंको स्वीकार कर कठोर प्रायश्चित लेना चाहिए एवं सर्वप्रथम कथा बांचना बन्द कर देना चाहिए; क्योंकि व्यासपीठसे इस्लामका प्रचार-प्रसारकर, उन्होंने […]
उपासनाका वानप्रस्थ प्रकल्प वृद्धाश्रम नहीं होगा; क्योंकि यहां लोग विवश होकर नहीं आएंगे; अपितु वे लोग यहां स्वेच्छासे आएंगे जिन्हें लगेगा कि अब हमें अपने सांसारिक उत्तरदायित्वमें न …..
आजकल लोगोंमें वाचनकी (पढनेकी) वृत्ति बहुत ही घट चुकी है, इस बातको कोई भी अस्वीकार नहीं कर सकता है ! अब मात्र लोग धन अर्जित करने हेतु पढते हैं । एक बार चाकरी मिल गई या व्यापार चल गया तो उसके पश्चात पुस्तकको हाथ नहीं लगाते …..
वर्तमान कालमें अनेक लोग धन अधिक अर्जित करनेके उद्देश्यसे अपनी उपजीविकाका चुनाव करते हैं । ऐसा हो सकता है कि वे कभी-कभी अपने माता-पिताके दबावमें आकर अपने मनके विरुद्ध उपजीविकाका चुनाव करने हेतु बाध्य होते हैं ……
उपासनाद्वारा शीघ्र आरम्भ होनेवाले वानप्रस्थ प्रकल्पमें सहभागी होकर अपने जीवनके उत्तरार्धको सार्थक करें ! इस प्रकल्पमें आपको क्यों सहभागी होना चाहिए ?, इसके विषयमें आपको ज्ञात हो एवं अन्य आश्रम भी ऐसे प्रकल्प आरम्भ करें, इस उद्देश्यसे यह …