कथावाचकोंने त्वरित ही अपनी चूकोंको स्वीकार कर कठोर प्रायश्चित लेना चाहिए !
अब तक लोग भ्रष्ट नेताओंपर या धर्मद्रोही कलाकारोंपर मसि (स्याही), पादत्राण (जूते-चप्पल), टमाटर और अण्डे फेंकते थे अब लोगोंने कथावाचकोंकी भी धुनाई आरम्भ कर दी है । वस्तुत: व्यासपीठको कलंकित करनेवाले कथावाचकोंने त्वरित ही अपनी चूकोंको स्वीकार कर कठोर प्रायश्चित लेना चाहिए एवं सर्वप्रथम कथा बांचना बन्द कर देना चाहिए; क्योंकि व्यासपीठसे इस्लामका प्रचार-प्रसारकर, उन्होंने कथा बांचनेका अधिकार खो दिया होता है ।
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