बच्चियोंको बाल्यकालसे पुरुषोंके वस्त्र क्यों नहीं पहनाना चाहिए ?


इस बार नवरात्रमें निकटके ग्रामसे कुछ कन्याओंको कन्या पूजन हेतु बुलाया था । जब मैं हवनकर कन्या पूजन हेतु कन्याओंके पास गई तो मुझे देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि मात्र दो कन्याओंने लडकियोंवाली वेशभूषा अर्थात फ्रॉक पहना था, शेष सभी कन्याएं लडकोंवाली वेशभूषामें थीं । ये बच्चियां सभी सात वर्षसेअल्प आयुकी थीं अर्थात ऐसी वेशभूषा उनके माता-पिताने ही उन्हें पहनाई थीं ।
एक श्रमिककी एक वर्षकी बिटियाको भी मैंने आमन्त्रित किया था । उसने भी अपनी बच्चीको ‘टी-शर्ट’ और ‘पैंट’ पहना रखा था । मैंने उससे कहा, “आपकी बिटियाको कन्या पूजन हेतु लानेके लिए कहा था तो इसे कन्यावाली वेशभूषामें तो लाते !” तो उसने कहा, “हम तो इसे लडकियोंवाले कोई वस्त्र पहनाते ही नहीं हैं ।”
हिन्दुओ, नवरात्रके समय यदि आपकी बच्ची कन्या पूजन हेतु जाती हैं तो उन्हें लहंगा चोली पहनाएं, सात्त्विक आभूषणसे उसका शृंगार करें, जिससे पूजा करते समय अधिक प्रमाणमें देवी तत्त्व जाग्रत हो सके । इससे उसका तो कल्याण होगा ही पूजकको भी लाभ मिलेगा ।
हिन्दुओंकी विवेकशून्यता अब मात्र महानगरों या नगरोंतक ही नहीं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रोंमें भी पहुंच चुकी है । सभी मूढ समान जो प्रचलनमें होता है, उसका अनुकरण स्वयं भी करते हैं और अपने बच्चोंसे भी करवाते हैं ।
तो पालको, अपनी बच्चियोंको बाल्यकालसे पुरुषोंके वस्त्र क्यों नहीं पहनाना चाहिए ? उसका शास्त्र जान लें !
१. इससे बच्चियोंमें जो देवीकी अप्रकट शक्ति रहती है, वह पुरुषोंके वस्त्र पहनानेसे नष्ट हो जाती है ।
२. देवी तत्त्व घट जानेसे या न्यून हो जानेसे उसपर अनिष्ट शक्तियां सहज ही आक्रमण कर सकती हैं ।
३. पुरुष वस्त्र धारण करनेसे उसके वलयमें सूक्ष्म काला आवरण निर्मित होने लगता है, जिसकारण उसे युवा अवस्था आनेतक अनेक प्रकारके शारीरिक व मानसिक रोग होनेकी आशंका बढ जाती है ।
४. मैंने अपने आध्यात्मिक शोधमें पाया है कि युवा अवस्थाको प्राप्त लडकियां यदि पुरुषोंके वस्त्र धारण करती हैं तो उन्हें मासिक धर्ममें १००% कष्ट होता है । ऐसी युवतियोंका जब विवाह होता है तो उन्हें या तो गर्भ धारणमें कष्ट होता है या बच्चे जन्म देते समय कष्ट होता है ।
५. दुःखकी बात यह है कि ऐसा युवतियोंकी कोखमें एक सूक्ष्म काला आवरण तमोगुणी वस्त्र धारण करनेके कारण निर्मित हो जाता है, जिसकारण अनिष्ट शक्तियां गर्भस्थ शिशुको सरलतासे कष्ट दे सकती हैं और इस प्रकार अगली पीढी गर्भसे ही अनिष्ट शक्तियोंसे या तो आवेषित होती है या उन्हें वे तीव्र कष्ट देती हैं ।
इसलिए पालको, यदि आप मात्र दिखावे या आधुनिक बनने हेतु अपनी बच्चियोंको पुरुषोंके वस्त्र पहनाते हैं तो आप एक नहीं दो-दो पीढियोंको कष्टमें रखनेका अपने हाथोंसे नियोजन करते हैं; अतः ऐसा अधर्म करना टालें !



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