कश्मीर में दहशत के लिए हत्याओं का दौर फिर शुरू


कश्मीर में आतंकी समूहों ने एक बार फिर अपहरण और हत्या का तरीका दहशत के लिए अपनाना शुरू कर दिया है। 2002 में पाकिस्तान के कराची में वॉल स्ट्रीट जनरल के पत्रकार डैनियल पर्ल की निर्मम हत्या के विडियो ने एक वक्त में काफी सनसनी मचाई थी। 1995 के दौर में कश्मीर में ऐसी हत्या और अपहरण की कई घटनाएं भी हुई थीं। एक बार फिर से घाटी में दहशत फैलाने के लिए उसी तरीके को आतंकी दोहरा रहे हैं।

 पिछले हफ्ते आतंकियों ने कश्मीर में बीजेपी नेता गौहर हुसैन भट को अगवा कर निर्मम तरीके से हत्या कर दी। शोपियां जिले के किल्लोर एक बाग में गौहर का शव मिला था और उनके गले पर बहुत गहरे निशान थे। इसी साल अगस्त में 30 साल के मुजफ्फर नट्टा की सिर कटी लाश झेलम में मिली थी। इस घटना का विडियो देख स्थानीय लोग सदमे में थे।
पुलिस ने उस वक्त दावा किया था कि मुजफ्फर पर पुलिस का मुखबिर होने का आरोप था। एक पुलिस अधिकारी ने हमारे सहयोगी ‘अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया’ को बताया, ‘आतंकियों को शक था कि उसने पुलिस तक सूचनाएं पहुंचाई हैं। आतंकियों ने लश्कर का टॉप लीडर जकी-उर-रहमान के भतीजे अबू मुसैब की मौत का बदला लेने के लिए मुजफ्फर की हत्या कर दी थी।’

बता दें कि हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से सीमा पार से पाकिस्तान समर्थित आतंकी वारदात काफी बढ़ गए हैं। पिछले साल ही सुरक्षा बलों ने आतंकी वानी को मार गिराया था। 2016 से अब तक अनुमानित तौर पर 340 से अधिक आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया है। इस ऑपरेशन में 150 से अधिक जवान भी शहीद हुए हुए हैं।

‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ को एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘हमने गली-गली में अपनी चौकसी बढ़ाई है और हम सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाने में सफल हो रहे हैं। इससे आतंकियों के मंसूबे पस्त हो रहे हैं और आतंकी संगठन पूरी तरह से निराश हो गए हैं। लोगों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और डराने के लिए आतंकी संगठन निर्मम तरीके से कुछ लोगों को मार रहे हैं।’ एक वरिष्ठ सेना के अधिकारी ने बताया कि ऐसी कायराना हरकत एक खास आतंकी संगठन ही अंजाम दे रहे हैं।

सेना के अधिकारी ने कहा, ‘वानी के उत्तराधिकारी जाकिर मूसा के हिज्बुल छोड़कर अलकायदा में शामिल होने के बाद से ही कई आतंकी संगठन आपस में भिड़े हुए हैं। ऑनलाइन माध्यमों से मूसा खुद को बार-बार कट्टर इस्लाम का अनुयायी और बर्बर होने का दावा करता रहा है। लश्कर, जैश और हिज्बुल जैसे आतंकी संगठन भी अपने को मध्यस्थ की तरह पेश नहीं कर सकते और इस कारण से सभी एक-दूसरे पर अपना वर्चस्व साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।’

एक रिपोर्ट के अनुसार, 1995 से अब तक 150 से अधिक लोगों को जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठनों ने अगवा कर सिर धड़ से अलग कर मार डाला है। एक बार फिर से सभी संगठनों के बीच यह ट्रेंड जोर पकड़ रहा है। 1995 में पहलगाम से अल-फरम आतंकी ग्रुप ने 6 विदेशी सैलानियों को अगवा दिया था। इनमें से 5 की हत्या कर दी गई और एक टूरिस्ट अपनी जान बचाकर भागने में सफल रहा था।



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