त्रिपुरा के स्कूलों से हटेंगी लेनिन-स्टालिन की कहानियां, शुरू होगी NCERT शिक्षा


त्रिपुरा में 25 साल बाद वाम सरकार की जगह एक नई सरकार अस्तित्व में आ चुकी है और उसकी कोशिश है कि पिछली सरकार के कई फैसलों और परंपराओं को बदल दिया जाए. इसी सिलसिले में सरकार ने लेनिन और स्टालिन की जीवनियों के साथ-साथ राज्य के स्कूलों से वामपंथी विचारधारा से जुड़ी किताबें हटाने की तैयारी कर ली है.

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने इंडिया टुडे से खास बातचीत में कहा, ’25 साल के वाम सरकार के शासनकाल में शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. मैंने एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है और जल्द ही त्रिपुरा में एनसीईआरटी (नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) आधारित शिक्षा व्यवस्था शुरू हो जाएगी. इसकी बदौलत त्रिपुरा के छात्र भी राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा ले सकेंगे.’

भारतीय इतिहास संपन्न

उन्होंने कहा कि हमारे छात्रों के लिए लेनिन और स्टालिन के जीवन और इतिहास की जगह पढ़ने के लिए भारतीय इतिहास में ही काफी कुछ है. हमारे छात्रों के पास पढ़ने के लिए महात्मा गांधी, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस समेत कई महान भारतीय हस्तियां हैं.

साथ ही उन्होंने जोड़ा कि प्राचीन इतिहास में महान सम्राट अशोक और उनकी कलिंग विजय के बाद किस तरह से उन्होंने बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया, इसे छात्रों को जानना चाहिए. हमारे छात्रों के पास वामपंथी इतिहास पढ़ने की जगह बौद्ध धर्म से जुड़ी ढेरों कहानियां हैं.

महाभारत युग में इंटरनेट

इससे पहले पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान CM बिप्लब देब उस समय लोगों के निशाने पर आ गए जब उन्होंने महाभारत में इंटरनेट के इस्तेमाल का दावा किया था. गुवाहाटी में उन्होंने बयान दिया था कि भारत युगों से इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहा है. महाभारत में संजय ने नेत्रहीन होते हुए भी धृतराष्ट्र को युद्ध के मैदान का हाल सुनाया था. जो इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की वजह से ही हुआ. सिर्फ इंटरनेट नहीं बिप्लब देब ने सैटेलाइट होने का भी दावा किया. उन्होंने कहा कि उस युग में सैटेलाइट भी मौजूद थे.

दरअसल, बिप्लब देब अपने भाषण में भारत को डिजिटल की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने कहा कि मोदीजी ने फेसबुक, वॉट्सऐप और ट्विटर को लोगों के बीच प्रचलित किया है. यहां तक कि अब राज्यों के मुख्यमंत्री भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे हैं.

इससे पहले भी त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कह चुके हैं कि राज्य के स्कूलों से वामपंथी विचारधारा से जुड़ी किताबें हटाई जाएंगी. उन्होंने आरोप लगाया था कि पूर्ववर्ती वामपंथी सरकारों के प्रभाव में आकर राज्य शिक्षा बोर्ड दो दशक से वामपंथी दुष्प्रचार को प्रोत्साहित करने में लगा हुआ है. जबकि भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार साक्षरता का आंकड़ा बढ़ाने के बजाए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का इंतजाम करना चाहती है. उनकी सरकार सबके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देगी.



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