रामनगरी अयोध्या को विश्व धरोहर के तौर पर प्रतिष्ठित करने को लेकर कवायद तेज हो गई है। अयोध्या यूनेस्को द्वारा निर्धारित 10 में से सात मानकों पर खरी उतरी है। इसके लिए प्रोजेक्ट तैयार करने का कार्य अंतिम दौर में है। जिसकी मॉनीटरिंग अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित कर रहे हैं। उनका मानना है कि अगर ऐसा हुआ तो अहमदाबाद के बाद अयोध्या वर्ल्ड हेरिटेज सिटी में शामिल होने वाला देश का दूसरा शहर होगा।
अयोध्या धार्मिक आस्था का केंद्र होने के अलावा कई पौराणिक एवं ऐतिहासिक स्थलों की गवाह भी है। कनक भवन, हनुमानगढ़ी और बाल्मीकि रामायण भवन जैसे मंदिर यूनेस्को के मानक के अनुरूप हैं। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मूमेंट्स एंड साइट के सदस्य सर्वेश कुमार बताते हैं कि सरयू के जमथरा घाट से लेकर संत तुलसीदास घाट तक सर्वे के दौरान सेटेलाइट से अयोध्या का जो भू-दृश्य प्राप्त हुआ है वह नौकी की शक्ल में है। परिस्थिति तंत्र व जैव विविधता के फलक पर रामनगरी की अनदेखी करना कठिन है।
उन्होंने बताया कि कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित के निर्देशन में डोजियर तैयार किया जा रहा है। अयोध्या के सरयू घाट व घाट से सटे मंदिरों तथा रामकोट क्षेत्र के करीब 30 स्थलों का अध्ययन किया गया है। इनमें से किसी एक स्थल को विश्व धरोहर घोषित करने के लिए नामांकन किया जाएगा।
कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित बताते हैं कि वर्ल्ड हेरिटेज सिटी के लिए सर्वे पूर्ण हो चुका है। शीघ्र ही डोजियर तैयार कर इसकी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपी जाएगी। इसको लेकर अक्तूबर माह में एक बैठक भी होनी जा रही है। सर्वे रिपोर्ट तैयार हो जाने के बाद यूनेस्को की एक टीम अयोध्या आएगी और विभिन्न स्थलों का निरीक्षण कर सत्यापन करेगी।
Leave a Reply